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रत्नाकरावतारिका में बौद्ध दर्शन के विविध मन्तव्यों की समीक्षा
यह देखने का प्रयत्न किया गया है कि रत्नाकरावतारिका में रत्नप्रभसूरि ने संबंध में बौद्धों के पूर्वपक्ष को किस रूप में प्रस्तुत कर उसका खंडन किया
हैं ।
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