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________________ रत्नाकरावतारिका में बौद्ध दर्शन के विविधि मंतव्यों की समीक्षा 265 उत्सर्पिणी-काल के शंख चक्रवर्ती भिन्न काल में होते हुए भी उनके मध्य अन्वय-संबंध तो हैं ही, क्योंकि रावण ही तो अवसर्पिणी-काल में शंख चक्रवर्ती होगा। बौद्ध - इस पर, बौद्ध-दार्शनिक प्रज्ञाकर गुप्त का कहना है कि चाहे रावण और शंख चक्रवर्ती में अन्वय-संबंध हो, किन्तु उनमें व्यतिरेक-संबंध नहीं है, अतः, उनमें कार्य-कारणभाव संभव नहीं है। जैन - इसके प्रत्युत्तर में, रत्नप्रभसूरि कहते हैं- हे प्रज्ञाकर गुप्त! आप व्यतिरेक-संबंध किसको कहते हैं ?73 बौद्ध - इस पर, प्रज्ञाकर गुप्त कहते हैं कि जिसके अभाव में जो नहीं होता है, उसको ही व्यतिरेक-संबंध कहते हैं। उदाहरण के रूप में यदि रावण नहीं होता, तो शंख चक्रवर्ती भी नहीं होता, इसे ही हम व्यतिरेक-संबंध कहते हैं। यह व्यतिरेक-संबंध उदाहरण में घटित नहीं होता है।380 जैन - इसके प्रत्युत्तर में, रत्नप्रभसूरि कहते हैं कि यदि रावण जन्म नहीं लेता, तो भविष्य में उसी का जीव शंख चक्रवर्ती भी नहीं होता, क्योंकि शंख चक्रवर्ती होना- यह रावण के पुण्योपार्जन का ही फल है। यदि हम गम्भीरता से विचार करें, तो इसमें व्यतिरेक-संबंध भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। यदि रावण के जीव ने उस भव में विशिष्ट साधना नहीं की होती, तो न तो वह तीर्थकर हो सकता था और न शंख चक्रवर्ती। वस्तुतः, जहाँ अन्वय–संबंध होता है, वहीं व्यतिरेक-संबंध भी अवश्य होता ही है, इसलिए आप बौद्धों को यह मान लेना चाहिए कि चाहे पूर्वचर और उत्तरचर भिन्नकालवर्ती हों, किन्तु उन दोनों के बीच अन्वय और व्यतिरेक-संबंध संभव होता है, अतः, पूर्वचर और उत्तरचर को साध्य की सिद्धि में हेतु के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। 17 रत्नाकरावतारिका, भाग II, रत्नप्रभसूरि, पृ. 477 378 रत्नाकरावतारिका, भाग II, रत्नप्रभसूरि, पृ. 478 319 रत्नाकरावतारिका, भाग II, रत्नप्रभसूरि, पृ. 478 380 रत्नाकरावतारिका, भाग II, रत्नप्रभसूरि. पृ. 478 381 रत्नाकरावतारिका, भाग II, रत्नप्रभसूरि, पृ. 479 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002744
Book TitleBauddh Darshan ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyotsnashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages404
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size19 MB
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