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रत्नाकरावतारिका में बौद्ध दर्शन के विविधि मंतव्यों की समीक्षा
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हम बौद्धों का कहना है कि जो पदार्थ स्वयं ही उत्पत्ति-स्वभाव वाला है, उसे उत्पाद की निमित्तभूत कारण सामग्री से क्या मतलब ? अर्थात घटादि पदार्थ जब स्वयं ही उत्पत्ति-स्वभाव वाले हैं, तो उनको दंड, चक्र, चीवर, कुम्हार आदि सहकारी-कारणों की क्या आवश्यकता है तथा जो पदार्थ उत्पाद-स्वभाव वाले नहीं हैं, ऐसे उत्पाद-स्वभाव से रहित, अर्थात् उसके अभाव वाले को इन्द्र भी उनका स्वभाव बदलने में समर्थ नहीं हैं, तो फिर उत्पाद-स्वभाव से रहित पदार्थ के लिए भी निमित्तभूत दंड, चक्र, चीवर, कुम्हार आदि कारणभूत-सामग्री की क्या आवश्यकता हो सकती है।107
जैन - हम जैनों द्वारा उत्पाद के समान ही नाश को भी सहेतुक मानने के संबंध में आप बौद्धों ने हमारा खंडन करने हेतु जो तर्क दिए हैं, वे उचित नहीं हैं। आपका तर्क था कि हम जैन नाश की कारणभूत-सामग्री मुदगर आदि को घटादि से पृथक् (भिन्न) मानते हैं या अपृथक् (अभिन्न)? यदि अपृथक् (अभिन्न) मानोगे, तो क्या घट ने ही स्वयं का नाश कर लिया? यदि ऐसा मानते हैं, तो फिर हम जैनों को, घट स्वयं को स्वयं से ही अपनी उत्पत्ति भी कर लेना चाहिए- ऐसा भी मानना होगा, किन्तु सत्य तो यह है कि घटादि की उत्पत्ति कुम्हार, दंड, चक्र, चीवर आदि सहकारी-कारणों से होती है। पुनः, यदि उस नाशक सामग्री को पृथक् (भिन्न) मानते हैं, तो फिर उस नाशक सामग्री से घटादि का नाश हुआ- ऐसा भी हम जैन नहीं कह सकते - इत्यादि आप बौद्धों ने हम
जैनों पर अपनी नाश को अहेतुक मानने सम्बन्धी अवधारणा की सिद्धि के लिए जो दोष लगाए थे, वैसे ही दोष हम जैन आप बौद्धों पर उत्पाद को सहेतुक मानने संबंधी पक्ष में भी लगा सकते हैं। हमारा आप बौद्धों से प्रथम पक्ष यह है कि जब आप उत्पाद को सहेतुक मानते हैं, तो आप यह बताइए कि यह उत्पाद उत्पन्न होते हुए अपने घटादि कार्य से भिन्न है या अभिन्न? यदि कदाचित् आप बौद्ध यह कहते हो कि कुम्हार, दंड, चक्र, चीवर आदि उत्पाद की कारणभूत सामग्री घटादि कार्य से अभिन्न है- ऐसा मानेंगे, तो यह ठीक नहीं है, क्योंकि उत्पाद को घटादि कार्य से सर्वथा अभिन्न मानने पर 'इनसे घट का उत्पाद हुआ- ऐसा भी नहीं कह सकते। दूसरे शब्दों में, घट की उत्पत्ति को घट की कारणभूत सामग्री से अभिन्न मानेंगे, तो घट उत्पन्न हुआ, नहीं कह सकते। उत्पत्ति तो एक प्रक्रिया है
107 रत्नाकरावतारिका, भाग II, रत्नप्रभसूरि, पृ. 724
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