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________________ रत्नाकरावतारिका में बौद्ध दर्शन के विविध मन्तव्यों की समीक्षा संबंध है ? वस्तुत:, घट और उसके नाश में किसी प्रकार का संबंध सिद्ध नहीं होता है । 1. प्रथमतः घट और उसके नाश में कार्य-कारण का संबंध नहीं माना जा सकता है। आप जैनों के अनुसार जो घटादि पदार्थ का नाश (अभाव) होता है, वह मुद्गर आदि से होता है, घटादि से कोई नाश नहीं होता है, इसलिए घटादि का जो नाश होता है, वह मुद्गर आदि अन्य हेतुओं से होने के कारण घटादि का नाश कार्य है और घटादि का नाश मुद्गर आदि से होने के कारण मुद्गर आदि कारण हैं । नाश कार्य है और नाशक कारण होता है। इन दोनों में भी कार्य-कारण- संबंध सिद्ध नहीं होता है, क्योंकि कारण अलग है और कार्य अलग है, घट अलग है और घट का नाश अलग है। कारण का कार्य से कोई संबंध नहीं है और इसी प्रकार, कार्य का कारण से भी कोई संबंध नही है। चूंकि दोनों की सत्ता ही भिन्न - भिन्न है, अतः, घट का नाश हुआ- ऐसा भी नहीं कह सकते और घट का नाश (उन्मूलन) नहीं हुआ ऐसा भी नहीं कह सकते हैं, अतः, कार्य-कारणरूप आपका प्रथम पक्ष उचित नहीं है। 2. दूसरे, घट और उसके नाश में संयोग-संबंध भी नहीं कह सकते, क्योंकि संयोग-संबंध दो भिन्न द्रव्यों में होता है । घट तो एक द्रव्य है, किन्तु घट का नाश एक क्रिया है । घट के नाश को हम द्रव्य नहीं कहे सकते, अतः, नाश अद्रव्य होने से घट और नाश में संयोग-संबंध संभव नहीं है, साथ ही घट और घट के नाश में संयोग-संबंध मानने पर एक आपत्ति यह आ सकती है कि दोनों, अर्थात् घट और घट के नाश समकाल भावी होने पर ही उनमें संयोग-संबंध हो सकता है, किन्तु घट और घट का नाश- दोनों समकाल में संभव नहीं हैं, क्योंकि जब घट होगा, तब घट का नाश नहीं होगा और जब घट का नाश होगा, तब घट नहीं होगा । घट पूर्वकाल में होता है तथा घट का नाश तो उत्तरकाल में होता है, इसलिए दोनों में संयोग-संबंध नहीं हो सकता है, अतः, दूसरा पक्ष भी उचित नहीं है। 3. तीसरे, घट और घट के नाश (अभाव) में विशेषण - विशेष्य-संबंध भी उचित नहीं है, क्योंकि विशेष्य- विशेषण - संबंध भी दो समकाल भावी तथ्यों में ही होता है। जब घट का सद्भाव होता है, अर्थात् जब घट भूतल पर होता है, तब ही हम ऐसा कथन करते हैं कि यह भूतल घटयुक्त है तथा जब घट का नाश होता है, तब यह कथन करते हैं कि यह भूतल घट से रहित है। तात्पर्य यह है कि हम भूतल और घट में विशेषण और विशेष्य-संबंध घटित करते हैं, तब घट और उसके अस्तित्व के साथ करते हैं, न कि घट और घट के नाश के साथ, अतः घट और घट के नाश में विशेषण और विशेष्य-संबंध 120 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002744
Book TitleBauddh Darshan ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyotsnashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages404
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size19 MB
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