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है कि इस पुस्तक से प्राकृत भाषा के अभ्यासीओं की बहुत समय की एक अपूर्णता दूर होवेगी ।
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प्राकृतकथासंग्रह ' प्रकाशित करने के वख्त जाहेर किया गया था कि उक्त कथाओं का कोश और संक्षिप्त प्राकृत व्याकरण भी वाद में प्रकाशित किया जायगा । किन्तु बहुत समय व्यतीत होने पर भी वह शक्य नहीं हुआ । इस वख्त प्राकृत भाषा का सरल व्याकरण और कथाओं का विस्तृत कोश, टिप्पणियाँ आदि इस ग्रंथ में ही प्रकाशित किये गये हैं। पंडितजी ने ऐसी कुशलता से यह पुस्तक तैयार किया है कि संस्कृत भाषा और व्याकरण का सामान्य परिचयवाला कोई भी विद्यार्थी इस एक पुस्तक से और साहित्य में सुविधा से प्रवेश कर सकेगा ।
हि प्राकृत व्याकरण
आशा है कि जिन्हों के लिये यह पुस्तक प्रकाशित किया जाता है वे उससे यथोचित लाभ अवश्य उठायेंगे ।
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