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संताण -(संत्राण) रक्षण | संतियं -(सत्कं) उसके पास
का । संथावणं- . (संस्थापनम् )
सांत्वन । संपहारेत्ता - (संप्रधारयित्वा)
विचार करके । संपेहेति - (संप्रेक्षते) विचार
करता है। संवादीनं -- (शाम्बादीनाम् )
शांव आदि का । संलत - (संलपितम् ) कहा। संवट्टणाणि --(संवर्तनानि ) जहां ___ अनेक मार्ग मिलते हों,
ऐसे स्थान । संविटेमाणी - (संवेष्टमाना)
पोषण करती हुई । संसारेति - (संसारयति) चलित
करता है। साइसंपओग- ( सातिसं-
प्रयोग) उत्कंचनादि सहित
दुष्ट प्रवृत्ति करना । साकेयं ---(साकेतम् ) अयोध्या।
सारक्खमाणी - (संरक्षमाणा )
पालती हुई । सारिच्छो -(सदृक्षः ) सरीखा
समान । सालघरएसु - (शालगृहेषु)
शाल नामक पेड से बने
हुए गृहों में । सालिअक्खए- (शालिअक्षतान् )
अक्षत शालि । सावगाणं - देखो टि. ३४ । सावय°--(श्वापदशतान्तकरणेन)
सैकडो श्वापदों का अंत
करनेवाला। सासयवाइयाणं-(शाश्वतवादि
कानाम् ) आत्मा शाश्वत
है ऐसा कहनेवालों को। साहति -(साधयति ? ) कहता
साहरंति -(संहरन्ति) संकुचित
कर लेते हैं । सिक्खगो-(शैक्षकः ) सीखने
वाला।
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