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सिक्खियक्म्सधारी--(शिक्षित-
वर्मधारी) शिक्षित और
कवच पहेने हुए। सिढिल° --- (शिथिलवलीत्वक्
विनद्धगात्रः) शिथिल और जिसमें वल पड गये हैं ऐसी चमडी से जिसका
गात्र ढका हुआ है। सिढिलेसु- (शिथिलेषु)
शिथिलों में । सिरो-(शिरः) मत्या । सिंगाडगाणि -(शृगाटकानि)
सिंघाडे के आकार जसे
रस्ते । सिंगारागार - (गुजारागार-
चारुवेषा) शृङ्गार के घर
बैसी और अच्छे वेपवाली। सीयारं-(सीत्कारं ) सीत्कार । सुइमूएण ---(शुचिभूतेन) शचि-
रूप-पवित्र से । सुणहा -(शुनकाः) कुत्ते । सुत्तिमतीए -- (शुक्तिमत्याम् )
शुक्तिमती में। सुत्थिया -(सुस्थिताः) स्वस्थ ।
सुसाणएसु ~ (स्मशानेषु)
स्मशानों में । सुहमोयगी- (सुखमोदकः)
सुख से आनंद करनेवाला । सुकेणं - देखो टि. ३७ । सूनी-(सूच्यः) सूइयाँ । सूमालए - (सुकुमालकः ) सु
कुमार । सूरो- (सूर्यः) सूर्य । सेजासंधारएसु-(शय्यासंस्तार
केषु) (१) सोने के लिये नियत की हुई जमीन में (२) रहने के स्थान में की
हुई पधारी में । सेगिए - (श्रेणिकः ) मगध
देश का राजा का नाम [देखो 'भ. म. नी धर्म
कयाओ' का कोश] । सेणिप्पलेणीणं - (श्रेणीप्रश्रेणी
नाम् ) वर्ण और उपवर्ण [ देखो ‘भ. म. नी धर्म
कथाओ' का कोश ] । सेयणए ---- ( सेचनकः) उक्त । नाम का श्रेणिक का पट्ट
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