SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 262
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ २४७ ] सिक्खियक्म्सधारी--(शिक्षित- वर्मधारी) शिक्षित और कवच पहेने हुए। सिढिल° --- (शिथिलवलीत्वक् विनद्धगात्रः) शिथिल और जिसमें वल पड गये हैं ऐसी चमडी से जिसका गात्र ढका हुआ है। सिढिलेसु- (शिथिलेषु) शिथिलों में । सिरो-(शिरः) मत्या । सिंगाडगाणि -(शृगाटकानि) सिंघाडे के आकार जसे रस्ते । सिंगारागार - (गुजारागार- चारुवेषा) शृङ्गार के घर बैसी और अच्छे वेपवाली। सीयारं-(सीत्कारं ) सीत्कार । सुइमूएण ---(शुचिभूतेन) शचि- रूप-पवित्र से । सुणहा -(शुनकाः) कुत्ते । सुत्तिमतीए -- (शुक्तिमत्याम् ) शुक्तिमती में। सुत्थिया -(सुस्थिताः) स्वस्थ । सुसाणएसु ~ (स्मशानेषु) स्मशानों में । सुहमोयगी- (सुखमोदकः) सुख से आनंद करनेवाला । सुकेणं - देखो टि. ३७ । सूनी-(सूच्यः) सूइयाँ । सूमालए - (सुकुमालकः ) सु कुमार । सूरो- (सूर्यः) सूर्य । सेजासंधारएसु-(शय्यासंस्तार केषु) (१) सोने के लिये नियत की हुई जमीन में (२) रहने के स्थान में की हुई पधारी में । सेगिए - (श्रेणिकः ) मगध देश का राजा का नाम [देखो 'भ. म. नी धर्म कयाओ' का कोश] । सेणिप्पलेणीणं - (श्रेणीप्रश्रेणी नाम् ) वर्ण और उपवर्ण [ देखो ‘भ. म. नी धर्म कथाओ' का कोश ] । सेयणए ---- ( सेचनकः) उक्त । नाम का श्रेणिक का पट्ट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002742
Book TitleJinagam Katha Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherKasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Canon, Agam, & agam_related_other_literature
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy