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समुच्छियं ---- (समुक्षिकाम् ) ___ पाणी छांटनेवाली । समुप्पजित्था -- देखो टि. २१,
क. १ । समूसियसिरे-(समुच्छ्रितशिरः) ___ऊंचे मस्तकवाला । समेच्चा - (समेत्य) मिल
करके। समोसरिए - (समवसृतः) आये
सम्मजि-- (समाजिकाम् )
झाडू देनेवाली । सरभा-(शरभाः) अष्टापद । सरय - (शरत् ) कार्तिक और
मार्गशीर्ष मास । सरयपुण्णिमायंदो--- (शरत्
पूर्णिमाचन्द्रः ) शरद ऋतु
की पूनम का चांद । सल्लइया-(शल्यकिताः ) जिनके
पत्ते शुष्क होने पर सली
बन गई है । सवयंसो- (सक्यस्य:) मित्र
सहित ।
सपहलाविवं--(शपयशापितान्) ____सोनंद दी हुई। सम्बोउय -- ( सर्वऋतुक) सब
ऋतुओं में । ससक्खं -(ससाक्षि) साक्षी
रखके । सहदारदरिसी- (सहदार
दर्शिनः) साथ में विवाह
किये हुए । सहपंसुकीलियया-(सहपांशु
क्रीडितकाः) धूल में साथ
खेले हुए। सहावरङ्गं- (स्वभावरङ्गम् )
स्वाभाविक रंग को। सहोई -(दे०) चोरी के
माल के साथ । संगारं - (संगारम् ) करार
संकेत को। संघाडओ-(संघाटकः, संघा___ तकः) दो की जोडी। संचाएति - देखो टि. २०,
संचाएमि -(संशकोमि) कर
सकता हूं।
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