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ढूंसट्स के रहने की रीति
से।
बोल -(दे०)[5] आवाज ।
भती- (मृतिः) वेतन,
बहुकण्ठसुत्तधारी --- (बहुकण्ठ
सूत्रधारी) कंठ में यज्ञो
पवीत-जनेऊ पहननेवाला। बहुलोहणिजा-(बहुलोभनीयाः) __ अधिक लुभानेवाले। वंधेउं - (वद्धुम् ) यांधने के
लिये । वारवइए - (द्वारवत्याम् )
द्वारिका में [देखो 'भ. म.
नी कथाओं' का टिप्पण] | वालग्गाही-(बालग्राही) बालक
को खेलानेवाला-रखने-
वाला । वाहसलिल'- (वाष्पसलिल-
प्रच्छादित-वदनानि) जिनके मुंख अश्रुजल से ढके
हुये है। वाहिरपेसणकारिं - (बाह्य
प्रेषणकारिकाम् ) बहार का
लाना ले जाना करनेवाली। विउणो- (द्विगुणः) दूना । बिलधम्मेणं- (विलधर्मेण)
जैसे दिल में अनेक मकोडे रहते हैं उसी तरह
भत्तपरिव्वयं-(भक्तपरिव्ययम्)
खानेपीने का खर्च । भंडागारिणि-(भाण्डागारिणीम् )
भांडार की व्यवस्था करने
वाली । भाइणेज - ( भागिनेय )
भाणजा । भायं - (भागम् ) मंदिर में
देने का नियत अंश । भारुण्डपक्खी--(भारण्डपक्षी)
एक तरह का अप्रमत्त. पक्षी । ऐसा कहा जाता है कि उसके दो मुख एक शरीर और तीन पैर
होते हैं । भासियवं-- (भाषितवान् )
बोला। भे-(युष्माकम् ) तुम्हारा ।
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