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पल्ला -- (पल्यानि) अनाज
भरने के भाजन । पवरगोण° --(प्रवरगोयुषकैः)
उत्तम जवान बेलों से। पवाणि-(प्रपाः) परर्वे-प्याऊ । पविट्रो-(प्रविष्टः) वडगया
परियत्तेति-(परिवर्तयति) बार-
बार धूमाता है । परियागते-(पर्यायागतान् ) कम
से बढे हुए । परिवेसतियं - (परिवेषयन्ति
काम् ) परोसनेवाली । परिसडियतोरणवरे - (परि
शटिततोरणगृहम् ) जहां पुराणे तोरण और घर के
टुफडे पडे है। परिसोसिय० ---(परिशोषित.
तस्वरशिखरमीमतरदर्शनीये) जिससे बडे बडे पेड की टोच सूक गई हो और जो देखने में भयानक
लगता है। पललिए-(प्रललितः) क्रीडाप्रिया पलवलंयोदरा-(प्रलम्बलम्बो
दराधस्करः) जिसके उदर,
ओंठ, और सूंड लंबे है। पलिच्छन्ने - (परिच्छन्नः)
आच्छादित । पललेसु-(पल्वनेषु) छोटा सा
तालाब ।
पसवेसु-(प्रसवेषु) पुत्रादि
जन्मप्रसंगो में । पसातेणं-(प्रसादेन) कृपासे । पसाहणघरएसु - (प्रसाधन
गृहेषु) सजावट करने के
घरों में। पसिणाति -(प्रश्नाः) प्रश्न । पसुमेहे-(पशुमेधे) पशुमेघ
यज्ञ । पहारेथ - देखो टि. २९,
पहुप्पति-(प्रभवति ) समर्थ
होता है । पचमहव्यएसु-देखो टि. ३२। पंडरसुवि० ---(पाण्डुर-सुविशुद्ध
स्निग्ध-निरुपहत- विशतिनखः) जिसके चीसो नख
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