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पक्खिवावेत्तए -~~ ( प्रक्षेपापयि-
तुम् ) अंदर रखने के लिये। पगडिया-(प्रकर्पिता ) बहार
खींची। पञ्चप्पिणह- ( प्रत्यर्पयत)
वापिस दो। पञ्चायाए-(प्रत्यायातः) पीछा
आया, जन्म लिया । पच्चोरुहति-(प्रत्यवरोहन्ति)
ऊतरते हैं। पच्छागयपाणे - (पश्चादागत
प्राणः) फिर से चैतन्य
पाया हुआ । पज्जुवासति --(पर्युपास्ते) सेवा
करता है। पञ्चविहे - देखो टि. ४४. पञ्चाणुब्वइयं - देखो टि. ४६। पट्टियाए - (पट्टिकायाम् )
पाटी में। पडिग्गह-(प्रतिग्रह) पात्र। मढिच्छति - (प्रतीच्छति)
पडिनिजाएहि --- (प्रतिनय)
वापिस ला । पडिनाये-(प्रतिज्ञातम्) प्रतिज्ञा
की। पडिपुन्न"-(प्रतिपूर्णसुचारकूर्म
चरणः) प्रतिपूर्ण, सुन्दर और कछुवे के जैसे चरण
हैं जिसके । पडिलाभेमाणे-(प्रतिलाभयन)
देता हुआ । पडिबालेमाणा - (प्रतिपालय
मानाः) प्रतीक्षा करते
पणावेहि --(प्रणामय) दे,
सामने रख । पणियसालानि--(पण्यशालाः)
करियाणे बेचने के स्थान । पण्हि --(पृष्णि) पानी-ऐडी। पत्तए --(पत्रके) कागज के
टुकडे में । पत्तियामि-(प्रत्येमि) विश्वास
करता हुँ । पत्यरेऊण -(प्रस्तीर्थ) बिछा
करके ।
यडिदिजाएजासि-(प्रतिदद्याः)
वापिस देना ।
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