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नच्चंतकबंध -- (नृत्यत्- निकटाहि -- (निष्कृयभिः)
कवन्ध-वार-भीमम् ) नाचते निकाली हुई - खुल्ली। हुए-धडों के - समूह से - निगमणाणि -(निर्गमनानि) भयंकर ।
निकलने के मार्ग । नटसुइए-(नष्टश्रुतिक:) जिसकी
निग्गंथो- (निर्ग्रन्थः) आंतर
कीमत श्रवणशक्ति मंद हो गई और बाह्य प्रथ-परिग्रह से
रहित, पापविमुक्त और नत्तुए ---(नप्तकः) लडकी का निप्रहपरायण को निर्घन्य लडका ।
कहते है। जैन भागमों नदीकच्छेसु- (नदीकच्छेषु) में यह शब्द जैन साधु के नदी के किनारों पर ।
लिये प्रयुक होता है। नमिरो-(नमः) नम्र । इसी अर्थ में बौद्ध ग्रन्यो नलिणि°-(नलिनीवनविध्वंसन
में निगंठ शब्द आता है। करे) कमलिनी के वन निच्छूढ-(निक्षिप्तम् , निष्ठयको नाश करनेवाला ।
तम्) यूंका हुआ । नागपडिमाण ---- ( नागप्रतिमा- निच्छोडेजा--(निश्छोटयेयम् )
नाम्) नागों की मूर्तिओं छीन लें । को।
निछुहावेइ-(निस्तुम्भापयति) नातिविगटेहि - (नातिविकृष्टः) निकलवा देता है ।
बहुत दूर दूर के नहीं। निजाएति-(निर्यातयति) पूर्ण नाममुई-(नाममुद्राम् ) नामयुक्त
करता है। मुद्रा-अंगठी
निजापतिते - (निर्यापिता निटरंब-(निकुरम्ब) समूह। निकाळे हुए ।
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