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कायंजला -(कृतजला:) समुद्र
के आसपास रहनेवाला
पक्षीविशेष । कायसि -(काये) शरीर में कालकम्बली-कालकम्बलिका)
काली कमली। कालधम्मुणा -- देखो टि. २४,
किसिणिज्जन्ति --- (कृषण्यन्ते )
काले हो जाते हैं। किहं ---(कथम् ) कैसे; किस
प्रकार से | कीलावण- ( क्रीडापन) . खेलाना । कीलावणगा--(क्रीडापनकानि)
खिलोने । कंखिते-(कांक्षितः) उत्सुकता
से फल की राह देखता
हुआ । कुच्चएहि -(कूर्चेकः) फूची
काहं --- (करिष्ये ) करूंगा। काहामो- (करिष्यामः)
करेंगे । काहावणेणं ---- (कार्षापणेन)
कार्षापण (सुवर्ण के एक
सिक्के का नाम) से। काही--(करिष्यति) करेगा। किच्चइ-(कृत्यते) . दुःख
पाता है। किणा - (केन) किस प्रकार
से, किस हेतु से । किण्होभासा - (कृष्णावभासा)
कुइए --- (कुडवाः) धान्य
मापने का एक माप [विशेष के लिये देखो 'भ. म. नी धर्मकथाओ'
का कोश ] । कुढएसु-(कुटकेषु) नीचे की
ओर चौडे तथा ऊपर की ओर संकीर्ण, ऐसे पर्वतों
के स्थानों में । कुंडलुलिहिय° -(कुण्डलोल्लि
खितगण्डलेखा) कुंडल से
काळे ।
कित्तिमो-(कृत्रिमः) बनावटी। कित्तिया-(कियन्तः) कितनेक ।
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