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आणिएल्लियं - (आनीतकम् ) विनय की क्रिया - अहिंसा लाया हुआ ।
आदि महाप्रतादि-आहारआतिक्खियं-(माख्यातम् ) कहा शुद्धि आदि क्रियाएँ-संयम
का निर्वाह-आहार का आदपणा-(दे०) विह्वल । परिमाण-उक्त कियाएँ जिस भाभिसेकं-(आमिपेक्यम् ) पट्ट में प्रवर्तित हों ऐसा [ हस्ती ] ।
[धर्म] । भाभोएमाणे-(आभोगयन् ) आरूसिया--(आरोषित) रोषदेखता हुआ।
युक्त । आयरं-(आदरम् ) आदर को। आरोहिज्जइ-(आरोप्यते) चढाया यायरियं-देखो टि. ३१ । जाता है । आयवयकुसलेण-देखो टि.४१।। आलिघरएसु-(आलिगृहेषु ) आयसि-(आतपे) धूप में । आलि नामक वनस्पति के आयंताण-(आचान्तानाम् ) जल घरों में ।
के आचमन से मुखशुद्धि आलो- (द०) झूठा आरोप । किये हुए।
आलोए-आलोके) देखते ही। आयाह-देखो टि, १६ फ. १।। आवन्नसत्ता--(आपनसत्त्वा) आयाभंडे--(आत्मभाण्डम् )आत्मा- गर्भवती।
रूप भांड अर्थात् पात्र । आवयमाणेसु-(आपतमानेषु) आयारगोयर° - ( आचार - गिरते हुए ।
गोचर - विनय-वनयिक- आवारीए--(दे० आपणिचरण-करण-यात्रा-मात्रा- कायाम् ) दुकान में । वृत्तिकम् ) आचार-माधु- आसत्था-(आश्वस्ताः) स्वस्थता करी की विधि-विनय- पाये हुए।
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