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असंखयं -- ( असंस्कृतम् ) टूटने पर जिसका संस्कार न हो सके वैसा ।
असंखया - ( असंस्कृताः ) अच्छे संस्कार से रहित ।
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असोगाओ - ( अशोकाः ) शोकरहित । अहतं - ( अहतम् ) नहीं टूटा हुआ, अक्षत ।
महारातिणियाए - (यथारात्निकम्) रात्निक अर्थात् रत्न जैसा उत्तम - बढा आदमी । यथारात्निक अर्थात् बढे छोटे के क्रम से [ लिंगपरिवर्तन के लिये देखो टि. १६, क. १] 1
(अहिः इव) सर्प के
अहि व
-
समान ।
अंगजणवयस्स --- ( अङ्गजनपदस्य )
अंगदेश का [ देखो 'भगवान महावीरनी धर्मकयाओ' का कोश ]
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अंतराणि - ( अंतराणि ) दोष 1
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( अंतरावासे : ) बीच के मुकामों से 1
अंतरावासेहिं
अंतेउर -- ( अंतःपुर - परिवारसंपरिश्रुतस्य ) अंतःपुर के परिवार से परिवृत ऐसा
उसका |
अंबाडितो - (दे० ) तिरस्कृत | अंसागएहिं - ( अंसागतैः ) कंघे तक आये हुए ।
आइक्खियं - ( पाली - आचिक्खितं, संस्कृत-आ+चक्ष्, आख्यातं)
कहा हुआ ।
आइण्णा - ( आचीर्णा ) आचार में लाई हुई । आओसेज्जा - ( आक्रोशयेयम् )
आक्रोश करूं । आजीवियसमयंसि - (आजीविक - समये ) आजीविक पंथ के सिद्धांत में । आढायंति - ( आद्रियन्ते ) आदर
करते हैं ।
भाणतो - ( माज्ञप्तः ) जिसको आज्ञा दी गई है, वह 1
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