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रमया हो तो पिर पंचायारू सारुपावैपि पंचपंच विजयम्मुधरपित्रादरम भग्गणुसमि हिउ मोरक होसम्मु पसि संतहिं रहततिष्णुरु हहिं अप्प चरित्रसित । 120
कामदेव के पाँच बाणों को त्यागकर पाँच आचारश्रेष्ठों को पाकर दस प्रकार के धर्मो को धारण कर
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घत्ता - मनरूपी तीर को दृढ़ गुण (गुण डीरी) में रखकर मोक्ष के सम्मुख प्रेषित किया। इस प्रकार अरहन्त ऋषभ के सन्त पुत्रों ने आत्मा को चारित्र से विभूषित किया ।। १० ।
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