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मायुगम लेामइलिज्ञमाणु हरिलालाणारे धुष्यमाणु कन्ध्यारक्का इज्ञमाणु पर
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रणविष्फुरण हिंदी समा कारितैरी रजगजभा] मणदर का मिणियाणगिजमा गा
तरथचक्रवनि कगाउलु ॥
गजमद-मल से मैला होता हुआ, घोड़ों के लार-जल से गीला होता हुआ, छत्रों के अन्धकार से आच्छादित हुआ, शस्त्र की चमक में दिखाई देता हुआ, झल्लरी और भेरी के शब्दों से गरजता हुआ, सुन्दर कामिनी
जनों के द्वारा गाया जाता हुआ,
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