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देवस्य निज निवाहना निभारुरूर समागतेोनि
रखतियमुदो उपमंडल पवई पुजारसहं जिणाचरणारविंड पण वेसका धन्ना (काय
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विदेविएल इयर करे| उप्पलु दास मउडुग्गगम हिं सिपदि ससिमणिकिरण हिं विसर दिल
आकाश देवों से भरा हुआ है, इसलिए हम बाद में आयेंगे, और जिनवर के चरण कमलों की वन्दना करेंगे।"
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धत्ता- किसी देवी के द्वारा हाथ में लिया गया नीलकमल दिखाई देता है, मानो वह मुकुटों के अग्रभाग में लगे चन्द्रमणि किरणों के द्वारा हँसा जा रहा हो ।। १९ ।।
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