________________
हिया परिसदेवदेवेसकुमारा श्रादारकम्पपअसिवरधारा चलिरप्रणायतियसरणावर लाय चचसिकायदेवागमने
रापतिदलावि कवनाका सता
SCCUODood
156GS वालयातणिवावशखिचिससुरपारहियपियारा असिम्वविधालयकमारा अवरपञ्णयपत्र ।
स्पर्शदेव, देवेशकुमार और असिवर धारण करनेवाले आत्मरक्षक और अनीकदेव दुर्गान्तपालों की तरह
लोकपाल, किल्विष, पाटहिक (ढोलवादक), प्रियकारक, अभियोग और कर्मकार देव चले । और भी प्रचुर, अनेक प्रकार की विपुल प्रजा के समान
JainEducation International
For Private & Personal use only
www.ja-1670g