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पा-पुराण ४ ब्रह्म ५ महेंद्र ६ सौधर्म ७ सनत्कुमार ८ महाशुक्र ।। आगे वासुदेवोंकी जन्मपुरियोंके नाम सुनो-पोदनापुर १ द्वापुर २ हस्तनागपुर ३ वहुरि हस्तनागपुर ४ चक्रपुर ५ कुशाग्रपुर ६ मिथिलापुर ७ अयोध्या ८ मथुरा है। ये वासुदेवोंके उत्पत्तिके नगर हैं । कैसे नगर हैं ? समस्त धन धान्य कर पूर्ण महाउत्सवके भरे हैं। आगै वासुदेवोंके पिताके नाम सुनो-प्रजापति १ ब्रह्मभूत २ रौद्रनन्द ३ सौम ४ प्रख्यात ५ शिवाकर ६ अग्निनाद ७ दशरथ ८ वसुदेव ह बहुरि इन नव वासदेवोंकी माताओंके नाम सुनो-मृगावती १ माधवी २ पृथिवी ३ सीता ४ अंबिका ५ लक्ष्मी ६ केशिनी ७ सुमित्रा ८ देवकी है । ये नव ही वासुदेवोंकी नव माता कैसी है अतिरूपगुणोंकर मंडित महा सौभाग्यवती जिनमती हैं। आगे नव वासुदेबोके नाम सुनोत्रिपृष्ट १ द्विपृष्ट २ स्वयंभू ३ पुरुषोत्तम ४ पुरुषसिंह ५ पुंडरीक ६ दत्त ७ लक्ष्मण ८ कृष्ण है। प्रागै नव ही वासुदेवोंकी पटराणियोंके नाम सुनो-सुप्रभा १ रूपिणी २ प्रभवा ३ मनोहरा ४ सुनेत्रा : विमलसुंदरी ६ आनन्दवती ७ प्रभावती ८ रुक्मणी है ये वासुदेवोंकी मुख्य पटराणी कैनी हैं ? महागुण कलानिपुण धर्मवती बताती हैं।
अथाननर नव बलभद्रोंका वर्णन सुनो-सो पहिले नव ही बलभद्रोंकी पूर्वजन्मकी पुरियोंके नाम कहै हैं-पुंडरीकनी १ पृथिवी २ आनन्दपुरी ३ नन्दपुरी ४ वीवशोका ५ विजयपुर ६ सुमीमा ७ क्षेमा ८ हस्तनागपुर । और बलभद्रोंके पूर्व जन्मके नाम सुनो-बाल१ मारुदेवर नंदि मित्र ३ महावल ४ पुरुषर्षभ ५ सुदर्शन ६ वसुधर ७ श्रीचंद्र ८ शंख है। अब इनके पूर्ण भवके गुरुवोंके नाम सुनो जिनपै इन्होंने जिनदीक्षा श्रादरी । अमृतासार १ महासुब्रत २ सुव्रत ३ वृषभ ४ प्रजापाल ५ दम्बर ६ सधर्म ७ प्रार्णव ८ विद्रम है। बहुरि नव वलदेव जिन २ देवलोकोंसे आये तिनके नाम सनो-तीन वलभद्र तो अनुत्तरविमानतें आए अर तीन सहस्रार स्वर्गसे आये दो ब्रह्मस्वर्गत आए एक महाशुक्रतै आया। अब इन नव बलभद्रोंकी मातानिके नाम सुनो-क्योंकि पिता तो इन बलभद्रोंक और नारायणोंके एक ही होय हैं । भद्रांभोजा १ सुभद्रा २ सुवेषा३ सुदर्शना४ सुप्रभा५ विजया६ वैजयंती७ अपराजिता जाहि कौशिल्या भी कहै हैं- रोहिणी है। नव वलभद्र नव नारायण तिनमें पांच बलभद्र पांच नारायण तो श्रेयांसनाथ स्वामीके समय आदि धर्मनाथ स्वामी समय पर्यंत भये और छठे और सातवें अरनाथ स्वामीको मुक्ति गए मल्लिनाथ स्वामीके पहिले भये और अष्टम बलभद्र वासुदेव मुनिसुव्रतनाथस्वामीको मुक्ति गये नमिनाथ स्वामीके समय पहिले भये । अर नबमे श्रीनेमिनाथके काकाके बेटे भाई महाजिनभक्त अद्भुत क्रियाके थारण हारे भए । अब इनके नाम सुनो-१ अचल २ विजय३ भद्र४ सुप्रभ५ सुदर्शन ६ नंदिमित्र (आनन्द)७ नन्दिषेण (नन्दन)८ रामचन्द्रह पद्म । आगे जिन महामुनियोपै बलभद्रोंने दीक्षा थरी तिनके नाम कहिये हैं-सुवर्णकुम्भ १ सत्यकीर्ति २ सुधर्म ३ मृगांक ४ श्रुतिकीर्ति ५ सुमित्र ६ भुवनश्रुत ७ सुब्रत ८ सिद्धार्थ है । यह बलभद्रोंके गुरुवोंके नाम कहे महातपके मारकर कर्मनिर्जराके करणहारे तीन लोकमें प्रकट है कीति जिनकी नव बलभद्रोंमें पाठ तो कर्मरूप वनको भस्म कर मोक्ष प्राप्त भये। कैसा हैं संसार वन ! माकुलताको प्राप्त भए हैं नाना प्रकारकी
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