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पग-पुराण पुष्पोत्तर १७ सर्वार्थसिद्धि १८ विजय १६ अपराजित २० प्राणत २१ वैजयन्त २२ आनत २३ पुष्पोत्तर २४ ये चौवीस तीर्थकरोंके आयने के स्वर्ग कहे।
___अब आगे चौवीस तीथंकरों की जन्मपुरिये जन्म-नक्षत्र माता पिता पर वैराग्यकेवृक्ष अर मोक्ष के स्थान मैं कहूँहूँ मो सुनो-अयोध्यानगरी पिता नाभि राजा माता मरुदेवी राणी उत्तराषाढ़ नक्षत्र वटवृक्ष कैलाश पर्वत प्रथम जिन, हे मगध देशके भूपति ! तुझे अतीन्द्रिय सुख की प्राप्ति करें ॥१॥ अयोध्यानगरी जितशत्रु पिता विजया माता रोहिणी नक्षत्र सप्तच्छद वृक्ष सम्मेद शिखर अजितनाथ, हे श्रेणिक ! तुझे मंगलके कारण हों ॥२॥ श्रावस्ती नगरी जितारि पिता सैना माता पूर्वाषाढ नक्षत्र शाल वृक्ष सम्मेद शिखर संभवनाथ तेरे भवबन्धन हरें ॥३॥ अयोध्या पुरी नगरी, मंवर पिता, सिद्धार्था माता पुनर्गसु नक्षत्र सालवक्ष सम्मेद शिखर अभिनन्दन तुझे कल्याणके कारण होवें ॥४॥ अयोध्यापुरी नगरी मेघषम पिता सुमंगला माता मघा नक्षत्र प्रियंगुवृक्ष सम्मेदशिखर सुमतिनाथ जगतमें महामंगल रूप तेरे सर्व विघ्न हरें ॥॥ कौशांबी नगरी धारण पिता सुमीमा माता, चित्रा नक्षत्र प्रियंगुवक्ष सम्मेदशिखर पद्मप्रभ तेरे काम क्रोधादि अमंगल हरें ॥६॥ काशीपुरी नगरी सुप्रतिष्ठ पिता पृथिवी माता पिशाखा नक्षत्र शिरीपवृक्ष सम्मेद शिखर सुपारगनाथ, हे राजन् ! तेरे जन्म जरा मृत्यु हरें ॥७॥ चन्द्रपुरी नगरी महासेन पिता लक्षणा माना अनुराथा नक्षत्र नागवृद सम्मेदशिखर चन्द्रप्रभ तुझे शान्ति भावके दाता होहु ॥८॥ काकन्दी नगरी सुग्रीव पिता रामा माता मूल नक्षत्र शाल वृक्ष सम्मेदशिखर पुष्पदन्त तेरे चित्तको पवित्र करें ॥४।। भद्रिकापुरी नगरी दृढरथ पिता सुनन्दा माता पूर्वापाढ नक्षत्र स वक्ष सम्मेदशिखर शीतलनाथ तेरे प्रिस्थिताप हरें ॥१०॥ सिंहपुरी नगरी विष्णु पिता विष्णुश्री देवी माता श्रवण नक्षत्र सिंदुकवृक्ष सम्मेदशिखर श्रेयांसनाथ तेरे विषय कपाय हरें ॥११॥ चम्पापुरी नगरी वासुपूज्य पिता विजयामाता शतभिषा नक्षत्र पाटनवृक्ष निर्वाण क्षेत्र चम्पापुरीका वन श्रीवासुपूज्य तोहि निर्वाण प्राप्त करें ॥१२॥ कंपिला नगरी कृतवर्मा पिता सुरम्या माता उत्तराषाढ नक्षत्र जम्बृवृक्ष सम्मेदशिखर विमलनाथ तुझे रागादि मलरहित करें ॥१३॥ अयोध्या नगरी सिंहसेन पिता सनशा माता रेवती नक्षत्र पीपलवृक्ष सम्मेदशिखर अनन्तनाथ तुझे अन्तरहित करें ॥१४॥ रत्नपुरी नगरी भानु पिता सुव्रता माता पुष्प नक्षत्र दधिपर्ण वृक्ष सम्मेदशिखर धर्मनाथ तुझे धर्मरूप करें ॥१॥ हस्तनागपुर नगर विश्वसेन रिता ऐरा माता भरणी नक्षत्र नीवृत सम्मेदशिखर शान्तिनाथ तुझे सदा शान्ति करें ॥१६॥ हस्तनागपुर नगर सूर्य पिता श्रीदेवी माता कृतिका नक्षत्र तिलकवक्ष सम्मेदशिखर कुंथुनाथ हे राजेंद्र ! तेरे पापडरणके कारण होवे ॥१७॥ हस्तनागपुर नगर सुदर्शन पिता मित्रा माता रोहिणी नक्षत्र आम्रवृक्ष सम्मेदशिखर अरनाथ हे श्रेणिक ! तेरे कर्मरज रें।।१८। मिथिल पुरी नगरी कंभ पिता रक्षिता माता अश्वनी नक्षत्र अशोकवृक्ष सम्मेदशिखर मल्लिनाथ हे राजा, तुझे मन शोकरहि । करें ॥१६॥ कुशाग्र नगर सुमित्र पिता पदभावती माता श्रवण नक्षत्र चम्पकवृक्ष सम्मेदशिखः मुनिसुव्रतनाथ सदा रं मनावणे
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