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बीये कामदेवे अज्झयणे अज्जो ! समणोधासगा गिहिणो गिहिमझा वसंता दिव्वमाणुसतिरिक्खजोणिए उवसग्गे सम्म सहन्ति जाव अहियासेन्ति, सक्का पुणाई, अज्जो)! सुमणेहिं निग्गन्थेहिं दुवालसङ्गं गणिपिडगं अहिज्जमाणेहिं दिव्वमाणुसतिरिक्खजोणिए उवसग्गे सम्मं सहित्तए जाव अहियासित्तए"।११९॥
तओ ते बहवे समणा निग्गन्था य निग्गन्थीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स "तह" त्ति अयमढे विणएणं पडिसुणेन्ति ॥१२०॥ - तए णं से कामदेवे समणोवासए हट्ट जाव समणं भगवं महावीरं पसिणाई पुच्छइ, अट्ठमादियइ, समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वन्दइ नमसइ, २त्ता जामेव दिसिंपाउभूए तामेव दिसिं पडिगए ॥१२॥
तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ चम्पाओ पडिणिक्खमइ, २त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥१२२॥
तए णं से कामदेवे समणोवासए पढम उवासगपडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरह ॥१२३॥
तए णं से कामदेवे समणोवासए बहहिं जाव भावेत्ता वीस वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणित्ता, एक्कारस उवासगपडिमाओ सम्मं कारणं फासेत्ता, मासियाए संले'हणाए अप्पाणं झुसित्ता, सर्हि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता,
आलोइयपडिक्कन्ते, समाहिपत्ते, कालमासे कालं किच्चा, सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरथिमेण अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगश्याणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। कामदेवस्स वि देवस्स चत्तारि पलिओवमा ठिई पण्णत्ता ॥१२४॥
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