________________
पाण्डवपुराणम्
राज्यस्थित्यर्थमानीतो व्यासो योजनगन्धया । राज्यस्य स्थितये तेन गा कर्म समावृतम् ।।४५ धृतराष्ट्रस्य चोत्पत्तिरन्धस्य व्यासतः कथम् । पाण्डोः कुष्ठामिभूतस्य चोत्पत्तिस्तत एव हि।।४६ विदुरस्य पुनस्तस्मादुत्पत्तिः श्रूयते प्रभो । चित्रस्य च विचित्रस्य भार्यासु रक्तमानसात्।।४७ गान्धारी गदिता साध्वी शतसंख्यैरजैः समम् । विवाह्य मारितैः पित्रा यदुवंशोद्भवेन च ।।४८ ते स्तभा मृतिमापमा भूतीभूतास्तया समम् । भोगसंयोगरगाढ्या जातास्तत्कथमुच्यताम् ।।४९ ततस्तस्यां सुगर्भाणामुत्पत्तिः श्रूयते कथम् । देवैर्मनुष्यनारीणां संगमः किमु जायते ॥५० गर्भोत्पत्तिस्ततस्तस्याः संजाताकर्ण्यते प्रभो । अपूर्ण मासि गर्भाणां तेषां पातः समाभवत्।।५१ पतन्तस्ते पुनर्गर्भाः कपासे विनियोजिताः । रक्षितास्ते पुनः पूर्णे मासि पूर्णत्वमागताः ॥५२ दुर्योधनादयो जाताः कौरवास्ते महोन्नताः । गान्धार्या धृतराष्ट्रेण पुनर्विवाहमङ्गलम् ॥५३
होगई । राज्यकी स्थितिके लिये योजनगंधाने व्यासको बुलाया। उसने राज्यकी स्थितिके लिये निन्द्य कर्म किया ॥ ४२-४५॥
[ धृतराष्ट्रकी उत्पत्तिपर विचार ] हे प्रभो, अंध धृतराष्ट्रकी उत्पत्ति व्याससे कैसी हो गई ? तथा कुष्ठरोगसे पीडित पाण्डुराजाकी भी उत्पत्ति उससे ही कैसे हुई ? और विदुरका भी जन्म उससे ही हुआ सुना जाता है। व्यासजी चित्र और विचित्र राजाओंकी भार्याओंमें आसक्त होकर उसने धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर ये तीन पुत्र उत्पन्न किये, क्या यह सत्य है ? ( चित्र
और विचित्र की अंबा, अंबिका और अंबालिका ये तीन पत्नियां थीं। व्यासके संबंधसे उनसे क्रमशः धृतराष्ट्र आदि पैदा हुये ऐसा परमतका पुराणार्थ ह ) ॥ ४६-४७ ।।
[अन्यमतमें दुर्योधनादिकोंकी उत्पत्ति के विषयमें कथा ] गांधारी साध्वी कही जाती है । यदुवंशमें उत्पन्न हुए गांधारीके पिताने गांधारीका विवाह सौ बकरोंके साथ किया और बाद वे बकरे जब यज्ञमें मारे गए तब वे भूत ( देव ) होकर उसके साथ भोगरंगमें तत्पर हो गये । यह वृत्त भी कहांतक सत्य समझना चाहिये ? सुना जाता है, कि उनसे गांधारीमें गर्भोत्पत्ति हुई । क्या देवोंके साथ मनुष्य स्त्रियोंका संबंध होता है ? क्या देवोंसे--(भूतोंसे ) गर्भोत्पत्ति होती है ? अपूर्ण महिनोंहीमें वे गर्भ गिर गये तब वे गर्भ कपासमें रख दिये और उनका रक्षण किया । पूर्ण महिने होनेपर वे गर्भ पूर्ण हुए और वे महा उन्नतिशाली कौरव हुये। गांधारीका पुनर्विवाहमंगल गोलक
१म समादतम् । २ विधवाके संतानको गोलक कहते हैं ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org