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________________ प्रथमं पर्व पारो विश्वगुणाश्रितो गुणगणा वीरं श्रिताः सिद्धये वीरेणैव विधीयते व्रतचयः स्वस्त्यस्तु वीराय च । वीराद्वर्तत एव धर्मनिचयो वीरस्य सिद्धिर्वरा वीरे पाति जगत्रयं जितमिदं संजायते निश्चितम् ॥१५४ इति श्रीपाण्डवपुराणे महाभारतनाम्नि भट्टारकश्रीशुभचन्द्रप्रणीते ब्रह्म श्रीपालसाहाय्यसापेक्षे श्रेणिकजिनवन्दनोत्साहवर्णनं नाम प्रथमं पर्व ॥१॥ -~mmmommmmun. । द्वितीयं पर्व। नौमि वीरं महावीरं विजिताखिलवैरिणम् । भवपाथोधिसंप्राप्तपारं परमपावनम् ॥१ अथानन्दभरेणैवानन्दभेरी स नादिनीम्। दापयामास दानेन नन्दिताखिलविष्टपः ॥२ श्रुत्वानन्देन भेरी तां लोका यात्रार्थसिद्धये । सज्जाः संनाहसंबद्धा संबोमुवति ते स्म वै ॥३ सादिनो मोदतो मङ्ख पर्याणं घोटकेषु च । रोपयन्ति स्म रागेण चलच्चामरचारुषु ॥४ दन्तिनो दन्तघातेन दारयन्तश्च दिग्गजान् । समर्थकुथसंबद्धाश्चक्रीयन्ते स्म तज्जनः॥५ वरिप्रभुने संपूर्ण गुणोंका आश्रय लिया है तथा गुणसमूहने भी वीरप्रभुका आश्रय लिया है। वीर भगवानने व्रतोंका समूह सिद्धिके लिये धारण किया है। ऐसे वरिप्रभुको धन्य है। वीरप्रभुसेही धर्मका तीर्थ चल रहा है। वीरजिनकी सिद्धिही संसारमें श्रेष्ठ है । वरिप्रभुके द्वारा रक्षण किये जानेपर यह त्रिलोक निश्चयसे उनके अधीन हुवा है ॥१५४|| ब्रह्मश्रीपालकी सहायतासे श्रीशुभचंद्र-भट्टारकद्वारा रचे हुए पाण्डवपुराणमें अर्थात् महाभारतमें श्रेणिककी जिनवंदनाके उत्साहका वर्णन करनेवाला पहिला पर्व समाप्त हुवा ॥१॥ [द्वितीय पर्व] संपूर्ण-घाति कर्मशत्रुओंको जिन्होंने पराजित किया है, संसारसमुद्रको जो पार कर चुके हैं ऐसे परम पवित्र वीर अर्थात् महावीर प्रभुकी मैं स्तुति करता हूं ॥१॥ अथानंतर दानद्वारा सारे जगतको आनंदित करनेवाले श्राणिकमहाराजने गंभीर शब्द करनेवाली आनंदभेरी अतिशय हर्षसे बजवाई। उस भेरीके शब्द सुनकर लोग सजधजकर प्रभुके दर्शन के लिये तैयार हुए। सईसोंने बड़े आनंदसे हिनहिनानेवाले तथा हिलते हुए चामरोंसे सुन्दर दिखनेवाले घोडोंपर पलाण रकाने। महावतोंने दांतोंके आघातसे दिग्गजोंको विदीर्ण करनेवाले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002721
Book TitlePandava Puranam
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorJindas Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1954
Total Pages576
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, Story, & Biography
File Size15 MB
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