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(७) विषय
पृष्ठ । विषय शतायुधकी गदासे उसकाही
पर्व बावीसवाँ नाश
४२६-४२७ कृष्ण-पाण्डवोंका द्रौपदीके साथ अर्जुनने घोडौंको गंगाजल
आगमन
४६०-४६१ पिलाया ।
१२७-४२८ पाण्डवोंका दक्षिणमथुरामें अर्जुनने दुर्योधनको पराजित
राज्यस्थापन
४६१-४६३ किया
४२८-४२९ परीक्षितको राज्यप्राप्ति अर्जुनने जयद्रथका वध किया ४२९-४३१ नेमिनाथ जिनेश्वरका दीक्षाग्रहण ४६३-४६४ दुर्योधनकी द्रोणाचार्यसे क्षमा
प्रभुको केवलज्ञानकी प्राप्ति ४६४-४६५ याचना
नेमिजिनका तत्त्वोपदेश ४६६-४६८ रात्रिके समय पांडवसैन्यपर
कृष्णमरण और बलभद्र द्रोणादिकोंने हमला किया ४३१--४३२ दीक्षाग्रहण
४६८--४६९ घुटुकके वधसे पाण्डव खिन्न हुए ४३२--४३४ नेमिजिनस्तुति द्रोणाचार्यका शस्त्रसंन्यास
__ पर्व तेईसावाँ द्रोणाचार्यके मरणसे कौरव
दग्धद्वारावतीको देखकर पाण्डवोंको शोक
४३५०-४३६ पाण्डवोंके वैराग्योद्गार ४७०--४७३ अर्जुनसे कर्णवध
४३६-४३८ पाण्डवकृत नेमिप्रभुस्तुति ४७३-४७५ भीमके द्वारा सर्व कौरवनाश १३८-४३९ नेमिजिनकृत धर्मोपदेश ४७५-४७७ भीमके द्वारा दुर्योधनवध ४३९-४४२ पाण्डवोंकी पूर्वभवकथा ४७७-४७९ कृष्णसे जरासंधवध
४४२-४४५ नागश्रीने मुनिको विषाहार दिया ४७९-४८० दुर्योधनको दुर्गतिप्राप्ति ४४५-४४६ सोमदत्तादिक तीनो मुनिओंका। पर्व इक्कीसवाँ
अच्युतस्वर्गमें जन्म ४८०-४८२ द्रौपदीके ऊपर नारदका क्रोध ४४७-४४९ पर्व चौवीसावाँ नारदका पद्मनाभसे द्रौपदी
मातंगीने अणुव्रतंग्रहण किये ४८३--४८५ रूपकथन
४४९-४५६ मातंगी दुर्गंधानामकं कन्या हुई ४८५-४८७ कामुक पमनाभकी द्रौपदीसे
दुगधाको उसका पति छोडकर प्रार्थना
४५१-४५४ गया शीलमाहात्म्य
४५४ दुर्गंधाने सुव्रता आर्यिकाको द्रौपदीने अलंकारोंका त्याग
आहार दिया
५८७--४८८ किया
४५६--४५७ । दो आर्यिकाओंकी पूर्वभवकथा पद्मनाभका शरण आना ४५८-४५९ । दुर्गधाका दीक्षाग्रहण
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