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विषय
विषय कनकध्वज कृत्यासाधन करता है ३५४ । गोकुलमोचन तथा अभिमन्युका नारदसे वार्ता सुनकर धर्मराज
उत्तराके साथ विवाह ३८४--३८९ धर्मतत्पर होता है
३५५ पर्व उन्नीसवाँ धर्मदेवसे द्रौपदीका हरण
३५५ विदुरराजाका दीक्षा ग्रहण ३९० विषजलपानसे पांच पाण्डव
कृष्णका युद्ध के लिये उद्यम ३९०-३९२ . मच्छित हुए
३५६.-३५९ दुर्योधनका जरासंधसे मिलना ३९२--३९४ कृत्याने कनकध्वजको मार दिया ३५९--३६१ युद्धके लिये जरासंघका प्रयाण ३९४ पाण्डव विराटराजाके पास
कुरुक्षेत्रमें जरासंधका आगमन ३९४-३९५ अज्ञातवेषसे रहे
३६१--३६३ कृष्णके दूतका कर्णसे भाषण ३९५--३९७ कीचक द्रौपदीपर मोहित हुआ ३६३--३६४ जरासंधके सैन्यमें दुनिमित्त धर्मराजने शीलपालनका उपदश
उत्पन्न हुए
३९७-४०० दिया
३६४--३६५ कालसंवरसे प्रद्युम्नका युद्ध ४००--४०१ द्रौपदीवेषी भीमसे कीचकविनाश ३६५--३६९ कृष्णने निर्भर्त्सना कर मायापुरुष भीमने उपकीचकोंका विनाश किया ३६९-३७१ और राक्षसको भगाया ४०१-४०२ पर्व अठारहवाँ
अर्जुन और दुर्योधनका युद्ध ४०३--४०८ विराटराजाका गोकुलहरण ३७२--३७३ अर्जुन तथा भीष्म, द्रोण और विराटनप--बंधन
३७३--३७४ धृष्टद्युम्नका युद्ध
४०८--४११ भीमके द्वारा जालंधरराजाका बंधन ३७४ भीष्माचार्यका संन्यासमरण ४११-४१४ युद्धके लिये बृहन्नटके साथ उत्तर
पर्व वीसवाँ राजपुत्रका गमन
३७५-३७६ अभिमन्युका अपूर्व पराक्रम ४१५-४१७ गोहरण करनेवालोंके साथ
जयाईकुमारसे अभिमन्युका वध ४१७ अर्जुनका युद्ध
३७६--३७८ अभिमन्युको समाधिमरणसे अर्जुनका स्ववृत्त-कथन ३७८--३७९ देवपदप्राप्ति
४१७--४१९ अर्जुनके साथ कर्ण और
अर्जुनकी जयद्रथवधप्रतिज्ञा ४१९-४२० दुःशासनका युद्ध
३७९--३८० द्रोणाचार्यका जयाको आश्वासन ४२१--४२२ अर्जुनके मोहनास्त्रसे कौरवसैन्य
शासनदेवतासे अर्जुन और मूछित हुआ
३८०--३८१ श्रीकृष्णको बाणप्राप्ति ४२२-४२३ अर्जुन-भीष्म-युद्ध
३८१--३८२ श्रीकृष्णने धर्मराजका समाधान अर्जुनका द्रोणसे तथा अश्वत्थामासे
किया
४२३--४२५ ३८२--३८४ | द्रोणार्जुनयुद्ध
४२५-४२६
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