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________________ पृष्ठ २१९ २१९ २२० (४) विषय विषय वसुदेवका रोहिणीके साथ विवाह पाण्डवोंका लाक्षागृहमें निवास २४३-२४४ तथा उस उत्सवमें समुद्र युधिष्ठिरको विदुरका उपदेश २४४-२४६ विजयादिक भाईयोंका समागम २१८ लाक्षागृहदाह २४६-२४९ रोहिणीको बलभद्र पुत्र हुआ २१८ युधिष्ठिरकी आत्मचिन्ता २४९-२५० कंसके द्वारा सिंहरथको बंधवाकर लाक्षागृहनिर्गमन तथा वसुदेवने उसे जरासंधके आगे पुण्यप्रशंसा २५०-२५१ खडा किया पाण्डवोंकी मृत्युसे गाङ्गेयादिक कंसका जीवद्यशाके साथ विवाह शोकयुक्त हुए - २५१-२५४ वसुदेव देवकीका विवाह तथा पाण्डवोंकी मरणवार्ता सुनकर कृष्णका जन्म कृष्णादिक युद्धके लिये सन्नद्ध २५५-२५६ कृष्ण और सत्यभामाका विवाह २२०-२२१ द्विजके वेषसे पाण्डवोंका प्रवास २५७-२६० कृष्ण और नेमिप्रभुके लिये भीमका बलिदानके विषयमें । कुबेरने द्वारिका नगरी विनोद २६०-२६५ निर्माण की २२१-२२२ गंगामें कूदनेके लिये उद्युक्त हुए द्वारकानगरीमें शिवादेवीके मह. धर्मराजका भाईयोंको उपदेश २६५-२६६ लमें रत्नवृष्टि तथा भीमने गंगामें कूदकर तुण्डीशिवादेवीको सोलह स्वप्नोंका देवीको परास्त किया तथा दर्शन २२३-२२४ तैरकर अपने भाईयोंके पास समुद्रविजयराजाने स्वप्नफलोंका गया २६७-२६९ कथन किया २२५-२२६ पर्व तेरहवाँ देवताओंने पूछे हुए कूटप्रश्नों के वर्णराजाकी कन्यासे-कमलासे उत्तर माताने दिये २२८-२३२ धर्मराजाका विवाह २७०-२७३ नेमितीर्थकरका जन्माभिषेक और मुनिराजाने जिनपूजनका फल स्तुति २३३-२३५ बताया २७४-२७५ पर्व बारहवाँ कुन्तीका वसन्तसेना कन्याके कृष्णके साथ रुक्मिणीका विवाह २३६-२३७ विषयमें आर्यिकाको प्रश्न और कौरवोंने संघिदूषण उत्पन्न किया २३८-२३९ उसका उत्तर २७६-२७९ धर्मराजने भीमादिकोंके कोपका चण्डवाहनराजाकी कन्यायें उपशमन किया २३९-२४१ पाण्डवोंकी मृतिवार्ता सुनकर कौरवोंने लाक्षागृह निर्माण कराया २४१-२४३ । जिनमंदिरमें रहने लगी २८०-२८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002721
Book TitlePandava Puranam
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorJindas Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1954
Total Pages576
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, Story, & Biography
File Size15 MB
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