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(४) विषय
विषय वसुदेवका रोहिणीके साथ विवाह
पाण्डवोंका लाक्षागृहमें निवास २४३-२४४ तथा उस उत्सवमें समुद्र
युधिष्ठिरको विदुरका उपदेश २४४-२४६ विजयादिक भाईयोंका समागम २१८ लाक्षागृहदाह
२४६-२४९ रोहिणीको बलभद्र पुत्र हुआ २१८ युधिष्ठिरकी आत्मचिन्ता २४९-२५० कंसके द्वारा सिंहरथको बंधवाकर
लाक्षागृहनिर्गमन तथा वसुदेवने उसे जरासंधके आगे
पुण्यप्रशंसा
२५०-२५१ खडा किया
पाण्डवोंकी मृत्युसे गाङ्गेयादिक कंसका जीवद्यशाके साथ विवाह
शोकयुक्त हुए - २५१-२५४ वसुदेव देवकीका विवाह तथा
पाण्डवोंकी मरणवार्ता सुनकर कृष्णका जन्म
कृष्णादिक युद्धके लिये सन्नद्ध २५५-२५६ कृष्ण और सत्यभामाका विवाह २२०-२२१ द्विजके वेषसे पाण्डवोंका प्रवास २५७-२६० कृष्ण और नेमिप्रभुके लिये
भीमका बलिदानके विषयमें । कुबेरने द्वारिका नगरी
विनोद
२६०-२६५ निर्माण की
२२१-२२२ गंगामें कूदनेके लिये उद्युक्त हुए द्वारकानगरीमें शिवादेवीके मह.
धर्मराजका भाईयोंको उपदेश २६५-२६६ लमें रत्नवृष्टि तथा
भीमने गंगामें कूदकर तुण्डीशिवादेवीको सोलह स्वप्नोंका
देवीको परास्त किया तथा दर्शन
२२३-२२४ तैरकर अपने भाईयोंके पास समुद्रविजयराजाने स्वप्नफलोंका
गया
२६७-२६९ कथन किया
२२५-२२६ पर्व तेरहवाँ देवताओंने पूछे हुए कूटप्रश्नों के
वर्णराजाकी कन्यासे-कमलासे उत्तर माताने दिये २२८-२३२ धर्मराजाका विवाह २७०-२७३ नेमितीर्थकरका जन्माभिषेक और
मुनिराजाने जिनपूजनका फल स्तुति २३३-२३५ बताया
२७४-२७५ पर्व बारहवाँ
कुन्तीका वसन्तसेना कन्याके कृष्णके साथ रुक्मिणीका विवाह २३६-२३७ विषयमें आर्यिकाको प्रश्न और कौरवोंने संघिदूषण उत्पन्न किया २३८-२३९ उसका उत्तर
२७६-२७९ धर्मराजने भीमादिकोंके कोपका
चण्डवाहनराजाकी कन्यायें उपशमन किया
२३९-२४१ पाण्डवोंकी मृतिवार्ता सुनकर कौरवोंने लाक्षागृह निर्माण कराया २४१-२४३ । जिनमंदिरमें रहने लगी २८०-२८१
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