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१०३-१०४
विषय
विषय सुलोचनाका पूर्वजन्म-चरित ५९ नित्यानित्यवाद-खण्डन भीममुनि अपने भवोंका वर्णन करते हैं ६४ वज्रायुधको चक्रवर्तिपद-लाभ ९८-९९ पर्व चौथा
कनकशान्तिको कैवल्यप्राप्ति कुरुवंशमें उत्पन्न हुए राजाओंकी
वज्रायुध चक्रवर्तीका ऊर्ध्वौवेयकमें परम्परा
जन्म
१००-१०१ श्रीशान्तिजिनेश्वरका चरित ६९-७० मेघरथ और दृढरथका चरित्र १०१ स्वयंप्रभाका स्वयंवरविधान ७०-७३ विद्याधरीकी पतिभिक्षा १०१-१०२
अश्वग्रीवने त्रिपृष्टके पास दूत भेजे ७४-७५ मेघरथराजाको आत्मध्यान-च्युत त्रिपृष्टका अधग्रीवके साथ युद्ध ७५-७६ करनेमें देवांगनाकी असफलता १०२-१०३ त्रिपृष्टवैभव तथा प्रजापति
प्रियमित्राको राजाके आश्वासनसे और ज्वलनजटीको मोक्षलाभ
संतोष . ज्योतिःप्रभा तथा सुताराका ।
धनरथकेवलीका उपदेश १०४-१०५ स्वयंवर, त्रिपृष्टनरकगमन तथा
मेघरथमुनिको तीर्थकर-कर्मबंध १०५-१०६ विजयको मुक्तिलाभ
शान्तिनाथतीर्थकरका गर्भकल्याण श्रीविजयके मस्तकपर वज्रपात
और जन्माभिषेक
१०६-१०७ होगा ऐसा निमित्तज्ञानीका कथन ७७-७९ शान्तिप्रभुको चक्रिपदप्राप्ति १०७ राजाके रक्षणोपायोंका कथन ७९-८१ शान्तिप्रभुको केवलज्ञान तथा अशनिवोषके द्वारा सुताराका हरण ८१-८२ मोक्षलाभ
१०८-१०९ सुताराहरणवार्ता-कथन ८२-८४
पर्व छठा स्वयंप्रभाका रथनपुरमें आगमन
कुंथुजिनेश्वरका चरित ११०-१११ सुतागके पूर्वभवोंका कथन
८६-८८
कुंथुप्रभुका गर्भमहोत्सव १११-११३ सौधर्मस्वर्गमें देवपदप्राप्ति
कुंथुजिनका जन्मकल्याण ११३-११४ कपिलभव-कथा
८९-९२ प्रभुके द्वादशगणोंकी संख्या ११४-११५ नार का आगमन
९२-९३
कुंथुप्रभुका मोक्षोत्सव ११५-११६ अन- सबीर्यके हस्तसे
पर्व सातवाँ दनिारीका निधन
अरनाथ-चरित पर्व पांचवाँ
श्रीविष्णुकुमारमुनि चरित ११९-१२३ अपराजितको इन्द्रपद-लाभ
कौरव-पांडवोंके पूर्वजोंका चरितमेघादको अच्युतस्वर्गमें
कथन प्रतीन्द्रपद-प्राप्ति
९६-९७ । पराशरका गंगाके साथ विवाह १२३-१२४
८८
१२३
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