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पाण्डवपुराणम् श्रीमती वल्लमा तस्य श्रीकान्ता तत्सुता शुभा । इन्द्रसेनाय तां भूपो विवाहविधये ददौ ।। सामान्यवनिता तत्र तया साधे समागता । सोपेन्द्रसेनं संलुब्धा जाता कमविपाकतः।।२०९ इन्द्रस्तथात्वमाकर्ण्य क्रुद्धो युद्धाय नद्धवान् । उद्यानवर्तिनोयुद्धं तयोराकर्ण्य भूमिपः ॥२१० तभिवारयितुं नैव शक्तो निर्वेदमानसः । आज्ञोल्लंघनदुःखेनाघ्राय पद्म विषाविलम् ॥ २११ मृति ययौ तदा देन्यौ सत्यभामा च तन्मृतेः। विधाय तद्विधि साध्व्यः समीयुर्विगतासुताम्।। धातकीखण्डपूर्वार्धकुरुघूत्तरगेषु च । तदा तौ दम्पती भूपोऽभूतां च सिंहनन्दिता ।। २१३ अनिन्दिता बभूवार्य: सत्यभामा च भामिनी । सर्वेऽपि ते सुखं तस्थुस्तत्र भोगभरान्विताः॥ तत्र पल्यत्रयं भुक्त्वा भोगान्भोगार्थिनो मृताः। श्रीषेणस्तत्र सौधर्मे विमाने श्रीप्रभोऽभवत्।। विद्युत्प्रभा तथा सिंहनन्दितासीत्तदंगना । अनिन्दिताभवद्देवो विमाने विमलप्रभः ॥२१६ शुक्लप्रभाभिधा देवी ब्राह्मणी विमलप्रभे । पञ्चपल्योपमायुष्का शर्मासेदुः समुन्नताः ॥२१७ श्रीषेणः प्रच्युतस्तस्मादर्ककीर्तिसुतो भवान् । जाता ज्योति प्रभा कान्ता या पूर्व सिंहनन्दिता॥ अनिन्दिताचरी देवोजनि श्रीविजयो महान् । सत्यभामा सुतारासीत्कपिलः प्राक्तनः खलः।।
राजाके पुत्र इन्द्रसेनको श्रीकान्ता विवाहविधीसे दी। श्रीकान्ताके साथ उसकी दासीभी इन्द्रसेनके घर आगई; परंतु कर्मोदयसे वह दासी उपेन्द्रसेनपर अनुरक्त होगई । इन्द्रसेनको यह बात मालूम होनेपर वह क्रुद्ध होकर युद्धके लिये तैयार हो गया। बगीचेमें उन दोनोंका युद्ध छिड गया। यह वृत्त सुनकर उनके युद्धका निवारण करनेमें असमर्थ राजा खिन्नचित्त हुआ। आज्ञाके उल्लंघनदुःखसे उसने विषसे युक्त कमल सूंघकर प्राणत्याग किया । तब उसकी दोनों रानियाँ और सत्यभामा इन साध्वीयोंने राजाके मरणका अनुकरण करके अर्थात् विषयुक्त कमलको सुंघकर मरण प्राप्त किया । ॥२०७-२१२।। धातकीखण्डके पूर्वार्द्धमें उत्तरकुरु भोगभूमीमें राजा और सिंहनंदिता दंपती हुए । अनिंदिता आर्य हुई और सत्यभामा उसकी पत्नी हुई। भोगसमूहसे युक्त वे सब सुखसे रहने लगे। ॥ २१३--२१४ ॥
[सौधर्मवर्गमें देवपदप्राप्ति । ] भोगभूमीमें तीन पल्य आयु समाप्त होनेतक वे भोगेच्छु आर्य और आर्या भोगोंको भोगकर मर गये । उसमेंसे श्रीषेण राजा सौधर्म स्वर्गके विमानमें श्रीप्रभ नामक देव हुआ। सिंहनंदिता आर्या उसकी विद्युत्प्रभा नामक देवी हो गई। अनिंदिता सौधर्मस्वर्गके विमानमें विमलप्रभ नामक देव हुई और सत्यभामा ब्राह्मणी विमलप्रभकी शुक्लप्रभा नामक देवी हो गई । उन देवदेवीयोंकी आयु पांच पल्यापम थी। श्रीषेणकी स्वर्गीय आयु समाप्त होनेपर वह अर्ककीर्तिका पुत्र हुआ अर्थात् हे अमिततेज तू ही पूर्वभवमें श्रीषेण राजा था। सिंहनंदिता तेरी पत्नी ज्योतिप्रभा नामकी हुई है। पूर्वमें जो अनिंदिता रानी थी वह अब श्रीविजय राजा हुई है। और सत्यभामा सुतारा हुइ है ।। २१५-२१९ ॥
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