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मेह मंदर पुराण
का चरित्र निर्माण करने में मेरी बुद्धि लीन हो जाय तो मेरा ज्ञान उन्हीं के समान होने में कोई आश्चर्य नहीं है । इसलिये भव्य सज्जन ज्ञानी पुरुषों को अल्प बुद्धि के द्वारा कविता के रूप में स्मरण कर रहा हूँ, अतः इसके पवित्र सार को ग्रहण करके इह लोक और परलोक में सुख भाव रखकर मैं इस कृति को प्रारम्भ करता हूँ। इसके अलावा मुझे अन्य कोई भी प्रयोजन को कामना नहीं है।
चन्द्रमा में थोड़ा सा काला दाग रहने पर भी चन्द्रमा के प्रकाश में क्या कभी न्यूनता आती है ? कदापि नहीं। उसी तरह महान पुरुषों की कथा का वर्णन करते समय कहीं शब्द दोष भी आ जाये तो सत्पुरुषों के महान चरित्र को कहने में कभी मलिनता नहीं पायेगी।
विदेह क्षेत्र का वर्णन:मरिण मुडि कवित्त ववन् मन्नबर् तन्नं चूळ । वरिणइ नोडिरुंद वे पो लयंकियं कडलु ती ॥ तनिविळ सूळ मेरु बेन्नु तडमुडि कवित्त, जंबु ।
वनियि नोडिरुव दीप सरसन तगल तोबन ॥६॥ अर्थ-अत्यन्त माणिक्य और मोती की मंणियों के द्वारा सुसज्जित मणियों का हार धारण कर सभा के बीच में बैठे हुए एक चक्रवर्ती को जिस प्रकार उनके चारों ओर मुकुट बंध राजा महाराजा घेरे हुए के समान असंख्यात द्वीप और समुद्र से घेरे उसमें कहीं अधिकता और न्यूनता रहित महान मेरू रूपी मुकुट को धारण कर अत्यन्त सुन्दर, उसके बीच में विराजित होकर जम्बू द्वीप नाम से प्रसिद्धि को प्राप्त हुया जम्बू नाम के राजा के हृदय के बीच में अर्थात जम्बू द्वीप के मध्य में अत्यन्त सुन्दर लक्ष्मी के समान प्रकाशमान होने वाले पीले सोने के पर्वत के समान चमकने वाले महामेरू पर्वत से सम्बन्धित होकर धर्म तीर्थ जैसे नदी के समान बहा कर जाने वाले परम्परा के रूप में गन्ध मालिनी नाम से प्रसिद्धि को प्राप्त हुआ देश है । ऐसा देश इस संसार में अत्यन्त दुर्लभ है । और ऐसे देश में भव्य जीव जन्म लेकर मानव जीवन को सार्थक बनाने की भावना रखने वाले भी अत्यन्त दुर्लभ होते हैं। और उसे वैराग्य भावना से युक्त जिनेन्द्र भगवान के तत्त्व के प्रति उपासक के अनुसार धर्म का पालन, व्रत, शील का नियम पालन करने वाले भव्य श्रावकों का देश में मिलना दर्लभ है। उत्तम श्रावक धर्म की प्राप्ति होने पर भी श्रावक धर्म का पालन कर अपने मनुष्य
के द्वारा मोक्ष और स्वर्ग प्राप्त करने वाले तपश्चर्य की भावना करके इस शरीर को तप के द्वारा कर्म निर्जरा कर मोक्ष को प्राप्त करने की इच्छा करने वाले जीवों के लिये यह क्षेत्र हमेशा जीवों का साधन और मोक्ष स्थान है ऐसे मोक्ष स्थान को जिसमें मोक्ष की परिपाटी हमेशा चलती रहती है क्षेत्र को सार्थक नाम प्राप्त हुआ, विदेह क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है । वह विदेह क्षेत्र सीतोदा नदो के पास उत्तर में है ।।६।।
भावार्थ-कवि ने इस श्लोक में जम्बू द्वीपका वर्णन किया है । यह जम्बू द्वीप अत्यंत मुन्दर, उत्तम मणि और मुकुट को धारण कर बैठा हुमा षटखंडाधिपति चक्रवर्ती के पारों मोर अनेक मण्डलिक महामण्डलिक राजा-महाराजा घेरे हुए बैठे हुए के समान
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