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________________ ४६२ ] मेरु मंवर पुराण इंड्रिय प्रोक मुंडिरंडोर नाळ् विडा। दोंड्रिय पशिकेड वमुद मुन्बरे ॥१२३६।। अर्थ-उत्तम भोगभूमि में रहने वाले मनुष्यों की आयु तीन पल्य की होती है। मध्यम भोगभूमि में रहने वालों की आयु दो पल्य तथा जघन्य भोगभूमि के रहने वालों की आयु एक पल्य होती है। उत्तम भोगभूमि के मनुष्यों के शरीर की ऊंचाई छह हजार धनुष की होती है। मध्यम भोगभूमि के मनुष्यों की ऊंचाई चार हजार धनुष तथा जघन्य भोगभूमि में रहने वाले मनुष्यों की ऊंचाई दो हजार धनुष होती है। उत्तम भोगभूमि में रहने वाले मनुष्य तीन दिन के बाद एक बार आहार लेते हैं। मध्यम भोगभूमि के दो दिन के बाद एक बार तथा जघन्य भोगभूमि के मनुष्य एक दिन छोड कर आहार लेते हैं ।।१२३६।। उरत मुक्काल मूंडादि युळ्ळ माम् । निरंत वैन्नूरुविर पुव्व कोडियु॥ मरत्तियेळिरंडु नोट्रिरुपत्तैवदु । मुरैत्तिला मंडिला दिक्कु मोक्कनाळ ॥१२३७॥ अर्थ-सुषमा सुषमा काल, सुषमा काल, सुषमा दुषमा काल ये तीनों उत्तम, मध्यम, जघन्य भोगभूमि में जिस प्रकार मनुष्य रहते हैं उसी प्रकार यहां भी भरत, ऐरावत क्षेत्रों में रहते हैं और चौथे काल में उनका शरीर पांच सौ धनुष ऊचा और एक कोटि पूर्व की प्रायु होती है। कर्मभूमि की रचना होती है व मोक्षमार्ग की प्रवृत्ति हो जाती है और पांचवे काल में घटते-घटते प्रागे चलकर सात हाथ की ऊंचाई और एक सौ बीस वर्ष की प्राय वाले इस काल के अन्त में होते हैं, फिर कम होते २ छठे काल के प्रारंभ में उनकी आयु बीस वर्ष व ऊंचाई दो हाथ की तथा अन्त में पंद्रह वर्ष आयु व एक हाथ की ऊंचाई रह जाती है॥१२३७॥ नोट-चौरासी लाख वर्ष को चौरासी लाख वर्ष से गुणा करने से एक पूर्व वर्ष की संख्या निकलती है, उसको एक कोटि से गुणा करने से एक कोटि पूर्व वर्ष हो जाते हैं । करमत्त कच्चै नसु कच्चै कामिग । मरुविय मा कच्च कच्चगावदि ॥ इरुमै इला व इलगंलावद। पोरविला पोक्कल पोक्कला वदि ॥१२३८॥ अर्थ-कर्मभूमि से सम्बंध रखने वाले कच्छ, सुकच्छ, महाकच्छ, कच्छावती, मावर्ता, लाङ्गलावर्ता, पुष्कलावती, पुष्कला ये नगर हमेशा सीता नदी के उत्तर में रहते हैं । ॥१२३८।। मन्नु तेन कर बच्चे नर सुबच्चे मा। तुन्नुमा बच्चये बच्चगा वदि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002717
Book TitleMeru Mandar Purana
Original Sutra AuthorVamanacharya
AuthorDeshbhushan Aacharya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages568
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size1 MB
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