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मेद मंदर पुराण
मोर सूर्य की किरणों को जीतने वाले अनेक मंडप थे। एक ओर बडे २ स्तंभों से निर्माण की हुई संगीत शालाएं थीं ।। १०६२।।
नाटक मडदयरंगळाडुमिड मुटु पाल् । काडवर्गळ वूडि विळ्याडुमिड मोरुपाळ || कोडयर्स कंड्रम निड्र विड मोरुपा । लाडग नवंदिगं य कूड मिड पोर पाळ ॥१०६३॥
अर्थ - वहां नृत्य करने वालों की नृत्यशालाएं एक मोर हैं। पुरुषों के खेलने का स्थान क्रीडाशाला के रूप में एक तरफ है । निर्माण किये हुए कृत्रिम पर्वत एक ओर हैं। स्वर्ण से निर्माण किये हुए महल तथा दीवारें एक ओर थीं ।। १०६३॥
वान करुविन ट्रीनसुवंय वारिनंदि योरुपाळ ।
तेन सरिव पून तडंगळ् शिरं पई ड्र वोरुपाळ ॥
वायं द मरिणतळंगळ् वल्लिमंडपगं ळोरुपाळ । सूकंद सेवोन् वेदिगय वागुम् शिळ वोरुपाळ् ॥ १०६४॥
अर्थ
- उस कल्पवृक्ष की भूमि में इक्षुरस के समान माठे पानी की नदी है । दूसरी मोर फूलों और कमलों की लता से युक्त बावडी है । लता मंडप एक तरफ है तथा स्वर्ण निर्मित कई स्थानों पर कोट बने हुए हैं ।। १०६४।।
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मंजमाळ पंजमळि युडयंविड मोरुपा ।
लुंजन मिशं येन सोळव राडुमिड मोरुपाळ् ॥ पंजियन याग़ळोडु मैंरिङ मुरुषा ।
लिजियद नगत्तिनै ईयंविड वोनादे ॥ १०६५।।
अर्थ- सोने के लिये मखमल के गद्दे, पलंग आदि एक ओर हैं। स्त्रियों के बैठने की जगह एक ओर है । स्त्रियों का भूला तथा पुरुष स्त्रियों-दम्पतियों के बैठने का स्थान एक तरफ है । इस कल्पवृक्ष भूमि का वरणन करना मेरे लिए अशक्य हैं ।। १०६५ ।।
मळे यनय निळे युडेय मादवर्ग कोरुपाळ् । विळेयमर वेरिदरुम विरोचनगं ळोरु पान् । मळ विन् मोळि निळं युनळ मौनधर रोरुपाळ । निले पनिइन वेयिन मकैई नींगळिळ रोस्पाळ ॥१०६६॥
अर्थ-पर्वत के समान तपस्वियों की तपस्या करने के स्थान एक तरफ हैं। संसार में होने वाले दुःख का नाश करने, सद्गुणी उपाध्यायों के स्थान वहाँ एक ओर हैं। और व्रत
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