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________________ मेरु मंदर पुराण [ ३६१ नागत्तिर् टोंडि मुंडा नरगत्तु पुक्कुत्ति में। वेगत्तिल विलंगि लैंदु पोरि युलुस सुळंड, सेल्वान् ॥१७॥ अर्थ-हे धरणेंद्र सुनो! यह अत्यन्त निंद्य पाप कर्म को किया हया वह भील मरकर सातवें नरक में गया। और वहां से चयकर सर्प योनि में जन्म लिया और वहां से मरकर तीसरे नरक में गया। इस प्रकार पर्याय को धारण करके एकेंद्रिय आदि अनेक पर्याय को धारण करने वाला हुमा ।।९७६।। वंदिदं भरवत्तिन् कन भूतर मन वनत्ति । नंदरत्तनिइर् सेल्लुं नदि ययि रावदिइन् । ट्रन करे तापद' तले वन् को,गन् पनि । मन्दनसेर् संगि मैंदन शिरुगम शेर मिरुग नानाम् ।।८।। अर्थ-इस प्रकार वह जीव अनेक पर्यायों को धारण करता हुआ जम्बू द्वीप संबंधी मध्यलोक में भूतारण्य नाम के जंगल में होकर जाते समय ऐरावत नाम की नदी के किनारे पर तपस्या करने वाले उन तपस्वियों में एक क्रोसिंह नाम का अधिपति था, जिसके शंखिरणी नाम की एक स्त्री थी , उसके गर्भ में आकर उसने जन्म लिया । इसका नाम मृगसिंह रखा गया ।।६८०॥ परल मिशै किडंदु मुळ्ळिन् पलगैर् द यिड म पंन । वेरि नडु पगलि निड, मिरावडां वरुड पुक्कुं॥ करै युडै मडैर् सेरं दु कलन पिन्नोडि काम। तुरै युडे युवरिर शोत कुडंगळे तळुवि तोळाल् ॥९८१॥ अर्थ-वह मृगसिंह नाम का तापसी एक कठिन शिला पर बैठता और लोहे के कांटों पर सोता, पंचाग्नि तप को तपता, वर्षाकाल में खडा रहता, शीतकाल में तालाब में बैठता, ऐसा वह तारसो तप करता था ।।६८१॥ तूंगुरि किडंदुम् नल्लार तोळिनै पुनंदु तूयमै। दांगि यतवत्तिर् सेल्वान् वानत्तोर् विज वेदन् । तीगिला विजु मालि तिवितिलगत्तु नादन् । मांगु वंदवनें कडांगन्ने तानिदानम् शैवान् ॥९८२॥ . अर्थ-स्त्रियों के भूजों को प्रालिंगन करता, हेय उपादेय तत्व से रहित, इस प्रकार मिथ्या तप को करते समय, एक दिन पृथ्वी तिलक नगरं का अधिपति विद्युन्माली अपनी विद्या के बल से प्राकाश में जा रहा था। उस समय उस मिथ्यात्वी तापसी ने यह निदान बंध कर लिया कि ऐसी विद्या मुझको प्राप्त हो जाय तो ठीक है ।।२।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002717
Book TitleMeru Mandar Purana
Original Sutra AuthorVamanacharya
AuthorDeshbhushan Aacharya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages568
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size1 MB
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