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व्याख्या
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दुप्पओलि (दुष्पक्वदेर में पकने वालो या अधिक पकी) औषधि (फली या धान्य आदि) का भक्षण (सेवन) करना । तुच्छ (असार) अर्थात् जिसमें डालने योग्य भाग अधिक हो और खाने योग्य कम हो, ऐसी ओषधि (फली या धान्य आदि) का भक्षण (सेवन) करना। जो मैंने दिवस सम्बन्धी अतिचार किए हों, तो उस का पाप मेरे लिए निष्फल हो ।
:३२:
पंचदश कर्मादान मूल : कम्मओ णं समणोवासएणं पन्नरस कम्मा
दाणाई, जाणियव्वाई, न समायरियव्बाइ तं जहा-ईगाल-कम्मे, वण-कम्मे, साडीकम्मे, भाडी-कम्मे, फोडी-कम्मे । दंत-वाणिज्जे, केस-वाणिज्जे, रस-वाणिज्जेलक्ख-वाणिज्जे, विस-वाणिज्जे । जंतपीलणकम्मे, निल्लंकण-कम्मे, दवग्गिदावणया-कम्मे, सर-दह-तलाय-परिसोसणयाकम्मे, असइजण-पोसणया-कम्मे । जो मे देवसिओ अइयारो कओ, तस्य मिच्छा मि दुक्कडं ।
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