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व्याख्या
बैल, ऊंट, बकरी आदि के प्रमाण का अतिक्रमण करना, कुप्य (बर्तन आदि घर की सामग्री) के प्रमाण का अतिक्रमण करना। जो मैंने दिवस-सम्बन्धी अतिचार किये हों तो
उनका पाप मेरे लिए निष्फल हो । व्याख्या: अपरिग्रह :
परिग्रह सब पापों की जड़ है। यह भव-बन्धन का मुख्य कारण हैं । जब तक परिग्रह पर नियन्त्रण नहीं रखा जाएगा, तब तक दूसरे पाप भी कम नहीं होंगे। संग्रह-वृति और पूजीवादी मनोवृत्ति ही संसार में अशान्ति पैदा करती है। मनुष्य सोचता है कि धन, सम्पत्ति और सुख-भोग के साधनों का संग्रह करके मैं सुखी रहूँगा, परन्तु यह कोरी मिथ्याकल्पना है। वित्तण ताणं न लभे' धन-वैभव से जीवन की रक्षा नहीं हो सकती। अर्थमनर्थ भावय नित्यम् ।' धन सचमुच अनर्थ ही है। Cur incomes are like shoes. If too small they gall and pinch us. If too large they make as to stumble and to triP. गृहस्थ की आय उसके जूते के समान है। जूते अगर छोटे होते हैं, तो वे पेरों में छाले डाल देते हैं,
और बड़े होते हैं, तो वे मनुष्य को गिरा देते हैं। इसी प्रकार धन की कमी गृहस्थ को परेशान करती है, और धन की अधिकता उसको विलासी बनाती है । अतः परिग्रह एक बहुत बड़ा पाप है, सब पापों का जनक है। पञ्चम अणुव्रत : - पञ्चम अणुव्रत है-स्थूल परिग्रह से विरत होना । गृहस्थ जीवन में परिग्रह का सर्वथा त्याग नहीं किया जा सकता । परिग्रह का परिमाण
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