________________
व्याख्या
तोड़ लगाया जाए, तो वह अतिचार है । कुछ बिचारक पर-विवाद का एक अर्थ यह भी करते हैं, कि अपना स्वयं का दूसरा विवाह न करना। तीव्र-काम-भोगलिभाषा:
कामाभिलाषा को मन्द करना चाहिए, क्षीण करना चाहिए । तीव्र कामाभिलाषा के व्रतभंग होने की सम्भावना रहती है। अतः वासना पर संयम रखने का प्रयत्न करना चाहिए। स्वदार-सन्तोष-व्रत का उद्देश्य भी यही है, कि भोगभिलाषा मन्द हो।
: २६ :
पञ्चम अपरिग्रह-अणुव्रत मूल : पंचमं अणव्वयं थूलाओं परिग्गहाओ वेरमणं
खेत-वत्थूणं जहापरिमाणं, हिरण्ण-सुवण्णाणं जहापरिमाणं धण-धन्नाणं जहापरिमाणं, दुप्पय-चउप्पयाणं, जहापरिमाणं कुप्पस्स: जहापरिमाणं। एवं मए जहा परिमाणं कयं, तओ अइरित्तस्स परिग्गहस्स पच्चक्खाणं । जावज्जीवाए, एगविहं तिविहेणं, न करेमि, मणसा, वयसा, कायसो । एयस्स पंचमस्स थूलग-परिग्गह-परिमाण व्वयस्स समणोवासएणं पंच आइयारा जाणि
यव्वा, न समायारियव्वा । १. कुवियस्स' भी पाठ है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org