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श्रावक प्रतिक्रमण - सूत्र
: १३ :
अष्टम अनर्थदण्ड - विरमणव्रत के अतिचार
अष्टम अनर्थ - दण्डविरमणव्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो, तो उसकी में आलोचना करता हूँ :काम - कथा की हो, २. भाण्ड - चेष्टा की हो,
१.
३. बिना प्रयोजन अधिक बोला हो, ४. अधिकरण जोड़ कर रखे हों,
५. उपभोग - परिभोग अधिक बढ़ाये हों,
जो मैंने दिवस सम्बन्धी अतिचार किये हों, तस्य मिच्छा मि दुक्कडं |
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नवम सामायिक व्रत के अतिचार
नवम - सामायिक व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा
हो, तो उसकी में आलोचना करता हूँ :
१. मन का अशुभयोग प्रवर्ताया हो, २, वचन का अशुभयोग प्रवर्ताया हो, ३. काय का अशुभयोग प्रवर्ताया हो, ४. सामायिक की स्मृति न की ही, ५. सामायिक का काल पूर्ण न किया हो,
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