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व्याख्या
३. राज्य - विरुद्ध काम किया हो । ४. झूठा तोल, झूठा माप किया हो,
५. वस्तु में मेल - संमेल किया हो,
जो मैंने दिवस सम्बन्धी अतिचार किये हों, तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
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चतुर्थ ब्रह्मचर्य - अणुव्रत के अतिचार
चतुर्थ-स्थूल मैथुन- विरमण व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो, तो उसकी मैं आलोचना करता हूँ१. इत्वरिक परिगृहीता से गमन किया हो, २. अपरिगृहीता से गमन किया हो, ३. अनङ्गक्रीडा की हो,
४. पर विवाह कराया हो,
५. काम भोग की तीव्र अभिलाषा की हो,
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जो मैंने दिवस-सम्बन्धी अतिचार किये हों, तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
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पंचम अपरिग्रह - अणुव्रत के अतिचार
पंचम - स्थूल परिग्रह- परिमाणव्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो, तो उसकी मैं आलोचना करता हूँ :१. खेत, घर आदि के परिमाण का अतिक्रमण किया हो २. हिरण्य' सुवर्ण के परिमाण का अतिक्रमण किया हो,
विरोधी राज्य में व्यापार आदि के लिए प्रवेश किया हो ।
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