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३. अंगोपांगों का छेदन-भेदन किया हो, ४. प्रमाण से अधिक भार लादा हो,
५. भक्त - पान' का विच्छेद किया हो'
जो मैंने दिवस सम्बन्धी अतिचार किये हों, तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ।
: ६ :
द्वितीय सत्य-अणुव्रत के अतिचार
द्वितीय-स्थूल मृषावाद - विरमणव्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो, तो उसकी मैं आलोचना करता है, १. किसी को झूठा कलंक दिया हो,
२. किसी का रहस्य प्रकट किया हो,
३. स्त्री-पुरुष का मर्म प्रकाशित किया हो, ४. किसी को मिथ्या उपदेश दिया हो, ५. कूट लेख लिखा हो,
जो मैंने दिवस- सम्बन्धी अतिचार किये हों, तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ।
श्रावक प्रतिक्रमण - सूत्र
: ७:
तृतीय अस्तेय - अणुव्रत के अतिचार
तृतीय - स्थूल अदत्तादान - विरमणव्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो, तो उसकी मैं आलोचना करता हूँ - १. चोर की चुराई वस्तु ली हो, २. चोर को सहायता दी हो,
२. भोजन - पानी ।
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