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उपक्रम सूत्र मूल : आवस्सही,
इच्छाकारेण संदिसह भगवं !. देवसियं पडिक्कमणं ठाएमि । देवसिय-नाण-दसणचरित्ताऽचरित्त-तवअड्यार-चिंतणत्थं
करेमि, काउसग्गं । अर्थ : अवश्यमेव (आवश्यक कार्य है।
इच्छापूर्वक (प्रतिक्रमण करने की) आज्ञा दीजिा, हे भगवान ! दिवस-सम्बन्धी प्रतिक्रमण करता हैं। दिवस सम्बधी ज्ञान और दर्शन, चारित्र-अचारित्र (संयमाऽसंयम), अनशन आदि द्वादश वध तप, (इस भांति स्वीकृत आचार) के दूषणों का, चिन्तन (स्मरण) करने के लिए, कायोत्सर्ग, (शरीर के ममत्वभाव का त्याग) करता हूँ।
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