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सामायिक का लक्षण समता सर्व-भूतेषु,
संयमः शुभ-भावना। ओर्त-रोद्र-परित्यागः,
तद्धि सामायिक व्रतम् ।। सब जीवों पर सम-भाव रखना, पाँच इन्द्रियों का संयम, शुभ-भावना, आर्त-रौद्र ध्यान का परित्याग करना-सामायिक व्रत है।
सामायिक-विशुद्धात्मा,
सर्वथा घाति-कर्मणः। क्षयात् केवलमाप्नोति
लोकालोक-प्रकाशकम् ।। सामायिक की साधना से विशुद्ध हो कर, यह आत्मा घातिकर्मो का पूर्ण क्षय करके लोक-अलोकव्यापी केवलज्ञान को प्राप्त कर लेता है।
टिप्पण-प्रस्तुत पुस्तक में सामायिक-सूत्र के सभी पाठों की व्याख्या संक्षेप में दी गई है । विस्तृत विवेचन, विस्तृत विश्लेषण के लिए देखिए, उपाध्याय श्रद्धय अमरचन्द्रजी म. कृत सभाष्य सामायिक-सूत्र।
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