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व्याख्या
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करना, उनका उत्कीर्तन करना और उनका जप करना, हम सबका ही कर्तव्य है ।
भगवान् का ध्यान करने से, भगवान् के नाम का जा करने से और उनके द्वारा प्रदर्शित मार्ग पर चलने से जीवन दिव्य बनता है।
सामायिक सूत्र मूल :
करेमि भंते ! समाइयं. सावज जोगं पच्चक्खामि । जाव नियम पज्जुवासामि, दुविहं तिविहे, मोणं-वायाए, काएणं, न करेमि, न कारवेमि, तस्स भंते ! पडिक्ककामि, निंदामि, गरिहामि,
अप्पाणं वोसिरामि ! अर्थ : हे भगवन् ! मैं सामायिक (ग्रहण) करता है,
समस्त पाप-क्रियाओं का परित्याग करता हूँ।
१. जावनियम के अ.गे जितनी सामायिक करनी हों, उतने ही मुहूर्त
कहने चाहिएं, जैसे- जावनियम मुहूर्त एक, मूहूर्त दो आदि ।
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