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सामायिक-सूक
वाय-निसग्गेणं, भमलीए, पित्तमुच्छाए । सहुमेंहिं अंग-संचालहिं, सहुमेहिं खेल-संचालेहिं सुहुमहिं दिहि-संचालेहिं एवमाइएहिं आगरेहिं, अभग्गो, अविराहिओ, हुज्ज मे काउस्सग्गो। जाव अरिहंता, भगवंता, नमोक्कारेणं, न पारेमिः ताव कायं ठाणेणं, मोणेणं, झाोणं,
अप्पा वोसिरामि । अर्थ : [कायोत्सर्ग में काय के व्यापारों का परित्याग करता हूँ ।
परन्तु जो शारीरिक क्रियाएँ स्वाभावतः हरकत में आ जाती हैं, उनको छोड़कर। [कौन-सी क्रियाओं का आगार-छूट है ?] उच्छ्वास ऊंचे श्वास से, निःश्वासनीचे श्वास से, खांसी से, छींक से, उवासी से, डकार से, वातनिसर्ग= अपान वायु से, भ्रान्ति= चक्कर से, पित्त-मूर्छा=पित्त के प्रकोप से होने वाली मूच्र्छा से सूक्ष्मरूप से अंगों के संचार=हिलने से; सूक्ष्मरूप से थूक या कफ के निकलने से;
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