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व्याख्या
ली और वह कब पूरी होगी, इस बात का ध्यान न रखना, अथवा समय पर सामायिक करना ही भूल जाना। सामायिकानवस्थिति :
सामायिक की साधना से ऊबना, सामायिक का काल पूर्ण हुए बिना ही सामायिक पार लेना । सामायिक के प्रति आदर-बुद्धि न रखना, आदि ।
:३७:
दशम देशावकाशिक-व्रत मूलः दसमं देसावगासियव्वयं दिण-मज्झे पच्चूस
कालाओ आरब्भ पुवादिसु छस्सु दिसासु जावइयं परिमाणं कयं,तओ अइरिच सेच्छाए काएण गंतूणं, अन्न वा पहिऊण, पंच आसवा-सेवणस्य पच्चक्खाणं । जाव अहोरलं, दुविहं तिविहेणं- न करेमिन कारवमि- मणसा- वयसा- कायसा । अह य छस्सु दिसासु जावइयं परिमाणं कयंतम्मझे वि जावइयाणं दब्वाणं परिमाणं कयं- तओ अइरित्तस्स उवभोग-परिभोगस्स पच्चक्खाणं । जाव अहोर- एगविहं तिविहेर्ण- न करेमि मणसा- वयसा- कायसा ।
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