SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 3. प्रकारवाचक क्रियाविशेषण अव्यय सम्म भली प्रकार इत्थं इस प्रकार एवं इस प्रकार जहा/जह जिस प्रकार तहा/तह उस प्रकार तहेव जहेव सणिअं उसी प्रकार जिस प्रकार धीरे-धीरे अण्णहा अन्यथा जह-तहा - जैसे-तैसे = किस प्रकार कहं/कह बहुसो बहुत प्रकार से बहुहा प्रायः वाक्य-प्रयोग १. कज्जकरणेण पुव्विं तुमं सम्मं चिंतहि। - कार्य करने से पहले तुम भली प्रकार से चिन्तन करो। २. बालएण कहा इत्थं जाणिज्जइ। - बालक के द्वारा कथा इस प्रकार समझी जाती है। ३. एवं मंतिणा विवायो भग्गो। इस प्रकार मंत्री द्वारा विवाद नष्ट किया गया। ४. जहा/जह सो सुहं इच्छइ तहा/तह - जिस प्रकार वह सुख चाहता है, उसी अहं वि सुहं इच्छामि। प्रकार मैं भी सुख चाहता हूँ। (74) प्राकतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक-तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002701
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages96
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy