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५. जहेव माया पुतं पालइ तहेव नरिंदो - जिस प्रकार माता पुत्र को पालती है, रजं पालइ।
उसी प्रकार राजा राज्य को पालता है। ६. हे पुत्त ! सणियं चल अण्णहा
हे पुत्र ! धीरे चलो, अन्यथा गिर पडिहिसि।
जाओगे। ७. सो जह-तहा घरं गओ।
वह जैसे-तैसे घर गया। ८. मुणी कहं/कह झाअइ।
- मुनि किस प्रकार ध्यान करते हैं। ९. तुमं बहुसो अप्पपियजणं वद्धावसि। - तुम बहुत प्रकार से अपने प्रियजन
को बधाई देते हो। १०. बहुहा बालओ मायं पडि सनेहं करइ। - प्रायः बालक माता की तरफ स्नेह
करता है।
4. विविध क्रियाविशेषण अव्यय (i) उत्तरओ
=
उत्तर से
पुह/पिहं
= अलग
ईसी/ईसिं/ईसि
मणयं
थोड़ा थोड़ा थोड़ा अवश्य
किंचि
अवसं
अहवा
अथवा
= बस, पर्याप्त = स्वयं
अलं सयं अओ सह/सद्धिं/समं समय/समं
= इसलिए/इस कारण से
= साथ
= साथ
समया
= समीप
मुहा
= व्यर्थ
प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय
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