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10. सा सुमइ कन्ना सालंकारा जीवंती उट्ठिया । तया तीए समं एगो वरो वि जीविओ ।
(कस्सेसा भज्जा 5)
11. पुण्णे विवाहे जामायरेहिं विणा सव्वे संबंधिणो नियनियघरेसु गया । (ससुरगेहवासीणं चउजामायराणं कहा - 1 )
12. तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरीं होत्था । (कुम्मे - 1)
13. दुवे कुम्मगा मयंगतीरद्दहस्स परिपेरंतेणं विहरति । (कुम्पे - 4 )
14. ते कुम्मगा संजातभया हत्थे य पाए य गवाओ य सएहिं सएहिं काएहिं साहरंति ।
(कुम्मे 7 )
15. गंथाणमेक्केण चेव मुहुत्तेण कमेण रयणा
कदा | (चिट्ठी 1 )
16. बे वसहा सुमिणंतरेण धरसेण- भडारएण दिट्ठा | (चिट्टी - 3 )
वह सुमति कन्या अलंकारसहित जीती हुई उठी । तब उसके साथ एक वर भी जिया । (नियम 5)
विवाह के पूर्ण होने पर दामादों के अलावा सब सम्बन्धी अपने-अपने घर चले गए। (नियम 6)
इस काल में और इस समय में वाराणसी नामक नगरी थी । ( नियम 10)
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दो कछुए मृतगंगातीरहृद की सीमा में गमन करते है ( ) | ( नियम 10 )
वे कछुए उत्पन्न हुए भय के कारण हाथों को और पैरों और गर्दन को अपने-अपने शरीरों में छिपाते थे । ( नियम 10)
ग्रन्थों की एक ही मुहुर्त में क्रम से रचना की गई। (नियम 4)
धरसेन भट्टारक द्वारा दो बैल स्वप्न के मध्य देखे गये । ( नियम 10)
निम्नलिखित वाक्यों का प्राकृत में अनुवाद कीजिए । जहाँ कही विभक्तियों का अन्तर परिवर्तन नियम समान है, वहाँ दोनों प्रकार से अनुवाद कीजिए ।
1. वह जल से हाथ धोता है । 2. उसके द्वारा सूर्य देखा जाता है। 3. कन्या के द्वारा शरमाया जाता है। 4. पुण्य के कारण हरि दिखे। 5. हरि पाँच दिनों में कोस भर गया। 6. वह बारह वर्षों में व्याकरण पढ़ता है। 7. पुत्र के साथ पिता जाता है। 8. पिता पुत्र के साथ खेलता है। 9. जल के बिना कमल नहीं खिलता । 10. वह राजा के समान है। 11. वह कान से बहरा है। 12. वह स्नेहपूर्वक घर आता है। 13. शील के विनष्ट होने पर उच्च कुल से क्या ? 14. धनी लोगों का कार्य तिनके से भी हो जाता है ।
प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास-कारक - तद्धित स्त्रीप्रत्यय-अव्यय
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