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________________ घटनाचक्रों के माध्यम से मूल्यों को समाज के जीवन में प्रविष्ट कराने के लिए तत्पर रहते हैं । साहित्यकार काव्य की विभिन्न विधाओं का प्रयोग करके अभिव्यक्ति को लालित्य प्रदान करते हैं जिससे सौन्दर्य के साथ शिव और सत्य साकार हो सके । अमर साहित्यकार जीवन के शाश्वत मूल्यों को निस्तेज होने से बचाते हैं । महाकवि पुष्पदंत ऐसे ही अमर साहित्यकार हैं जिन्होंने शाश्वत मूल्यों को सौन्दर्यात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की है। उनके काव्य इसके उदाहरण हैं। I पुष्पदंत की तीन रचनाएँ उपलब्ध हैं ( 1 ) महापुराण (तिसट्ठि - महापुरिस - गुणालंकार), (2) णायकुमारचरिउ और (3) जसहरचरिउ । मान्यखेट (वर्तमान आन्ध्रप्रदेश के हैदराबाद राज्य का मलखेड़) के राजा कृष्णराज तृतीय के मंत्री भरत के आश्रय में रहकर उन्होंने महापुराण की रचना की और फिर भरत के पुत्र नन्न के आश्रय में 'णायकुमारचरिउ' तथा 'जसहरचरिउ' जैसे कालजयी अपभ्रंश खण्ड काव्यों का प्रणयन किया । " राजस्थान में सबसे अधिक लोकप्रियता पुष्पदंत को प्राप्त है। अकेले पुष्पदंत की रचनाओं की 75 से भी अधिक पाण्डुलिपियाँ राजस्थान के ग्रन्थ-भण्डारों में संगृहीत हैं ।' '40 (1) महापुराण - पुष्पदंत की सबसे प्रथम और विशाल रचना है जो 102 संधियों में पूरी हुई है। इसमें जैन परम्परा में प्रख्यात 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलभद्र, 9 नारायण और 9 प्रतिनारायण इन 63 शलाकापुरुषों का चरित्र वर्णित है। सबसे अधिक विस्तार से ऋषभदेव तथा उनके पुत्र भरत का वर्णन है जो 37 संधियों में गुम्फित है। इस खण्ड / भाग का नाम 'आदिपुराण' है । इसके आगे का भाग 'उत्तरपुराण' कहलाता है जिसमें 65 संधियों में शेष तीर्थंकरों तथा अन्य महापुरुषों का चरित्र वर्णित है । उत्तरपुराण के अन्तर्गत ही रामकथा एवं कृष्णकथा सम्मिलित हैं । ( 2 ) णायकुमारचरिउ (नागकुमारचरित्र) पुष्पदंत की दूसरी रचना है । 9 संधियों में लिखित इस काव्य में श्रुतपंचमी का माहात्म्य बतलाने के लिए नागकुमार का चरित्र वर्णित है । मान्यखेट में भरत मंत्री के पुत्र नन्न के आश्रय में पुष्पदंत ने णायकुमारचरिउ लिखा । चरित के नायक नागकुमार हैं जो एक राजपुत्र हैं, किन्तु सौतेले भ्राता श्रीधर के विद्वेषवश वे अपने पिता द्वारा निर्वासित अपभ्रंश : एक परिचय 12 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002700
Book TitleApbhramsa Ek Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2000
Total Pages68
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size3 MB
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