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________________ यहाँ ध्यान देने योग्य है कि आठवीं से तेरहवीं शताब्दी का समय अपभ्रंश साहित्य का उत्कर्ष युग कहा जा सकता है। जिन प्रदेशों में अपभ्रंश साहित्य की रचना हुई उनके आधार पर अपभ्रंश साहित्य का वर्गीकरण डॉ. रामसिंह तोमर ने निम्न प्रकार से किया है - पश्चिमी प्रदेश (शौरसेनी का क्षेत्र) - कालिदास के 'विक्रमोर्वशीय' के अपभ्रंश पद्य, स्वयंभू, योगीन्दु, देवसेन, रामसिंह, धनपाल, नयनन्दी, भोज, धनंजय, जिनदत्त, लक्ष्मणगणि, हरिभद्र, हेमचन्द्र, सोमप्रभ, अब्दुल रहमान, यशकीर्ति, रइधू आदि कवि गुजरात, मध्यप्रदेश की अपभ्रंश के प्रतिनिधि कहे जा सकते हैं। महाराष्ट्र प्रदेश (महाराष्ट्री का क्षेत्र) - पुष्पदंत और कनकामर ने आधुनिक मराठी बोली के समीपवर्ती प्रदेशों में रहकर अपभ्रंश कृतियों की रचना की। इस कारण उनकी कृतियों में मराठी के शब्द मिल सकते हैं । यों इनकी भाषा शौरसेनी क्षेत्र के कवियों से मूलतः भिन्न नहीं है। __ पूर्वी प्रान्तों की अपभ्रंश (मागधी बोलियों का क्षेत्र - पूर्वी हिन्दी, मैथिली, बंगला आदि) - दोहाकोष, चर्यापद, डाकार्णव तंत्र तथा कीर्तिलता, कीर्तिपताका, प्राकृत-पैंगलम् के कुछ पद्य तथा सेकोद्देश टीका आदि के बिखरे पद्यों की रचना पूर्वी प्रान्तों में हुई। इसी कारण दोहाकोष, कीर्तिलता की भाषा यद्यपि शौरसेनी अपभ्रंश है तथापि मागधी के प्रयोग भी उसमें मिल जाते हैं। उत्तरी प्रदेशों की अपभ्रंश (पंजाबी, काश्मीरी भाषाओं का क्षेत्र) - गोरखनाथ के कहे जानेवाले कुछ अपभ्रंश पद्य तथा काश्मीर शैवों की अपभ्रंश मिश्रित कृतियों की इस प्रान्त में रचना हुई जो काश्मीरी से प्रभावित है। "विभिन्न प्रदेशों में रचित इस विशाल अपभ्रंश साहित्य पर शौरसेनी अपभ्रंश का बहुत प्रभाव पड़ा, संभवतः वह काव्य की भाषा के रूप में प्रतिष्ठित थी। xx उपलब्ध अपभ्रंश साहित्य में सबसे अधिक साहित्य जैन सम्प्रदाय के अनुयायियों द्वारा रचित मिलता है। धर्म के साथ-साथ काव्य, रस, समाज और मानव-जीवन का चित्रण, कथा का मनोरंजकत्व - सभी कुछ इसमें मिलता है।"17 अपभ्रंश : एक परिचय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002700
Book TitleApbhramsa Ek Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2000
Total Pages68
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size3 MB
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