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45. अतो देश्च 4/274 ,
अतो देश्च {(अतः) + (देः) + (च)} अतः (अत्) 5/1 दे: (दे) 1/1 च = और अकारान्त से परे (इ, ए के स्थान पर) दे और (दि होते हैं)। अकारान्त क्रियाओं से परे इ. ए (अन्य पुरुष एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर दि और दे होते हैं । अकारान्त के अतिरिक्त आकारान्त, ओकारान्त क्रियाओं में केवल 'दि' प्रत्यय की प्राप्ति होती है 'दे' की नहीं। (हस + इ. ए) = (हस + दे, दि)= हसदे, हसदि (वर्तमानकाल, अन्य पुरुष,
एकवचन) 46. भविष्यति स्सिः 4/275
भविष्यति (भविष्यत्) 7/1 स्सिः (स्सि) 1/1 (शौरसेनी प्राकृत में) भविष्यत्काल में (क्रिया में) स्सि (प्रत्यय जोड़ा जाता है फिर वर्तमानकाल के प्रत्यय जोड़े जाते हैं)। शौरसेनी प्राकृत में भविष्यत्काल में क्रिया में स्सि प्रत्यय जोड़ा जाता है। तत्पश्चात् वर्तमानकाल के पुरुषबोधक व वचनबोधक प्रत्यय जोड़ दिये जाते
(हस + स्सि + दि, दे) = हसिस्सिदि, हसिस्सिदे (भवि.अन्य
पुरुष, एकवचन) (हस + स्सि + न्ति, न्ते, इरे) = हसिस्सिन्ति, हसिस्सिन्ते,
हसिस्सिइरे (भवि, अ. ब.) (हस + स्सि + सि, से) = हसिस्सिसि, हसिस्सिसे (भवि. म.
एक.) . (हस + स्सि + ह, इत्था, ध) = हसिस्सिह, हसिस्सिइत्था,
हसिस्सिध (भवि. म. बहु.)
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प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ
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